तारे कैसे बनते हैं? तारों का जन्म कैसे होता है?
तारे कैसे बनते हैं: मानव सभ्यता की शुरुआत से ही तारे हमारी पृथ्वी के रात के आसमान को बेहतरीन बनाते आ रहे हैं। धीरे धीरे इंसानों नें तारों को अपने जीवन का आधार ही बना लिया। तारों नें इंसानों के जीवन और धर्म में एक अलग ही स्थान बना लिया। कहीं भी लम्बी दूरी की यात्रा के लिए और आने-जाने के लिए लोग मार्गदर्शन के तौर पर तारों का ही उपयोग किया करते थे।
तारे पुराने ज़माने में किसी नेविगेशन टूल की तरह काम में लिए जाते थे, इसके अलावा तारों से आने वाले मौसम का अंदाजा भी लगाया जाता था।
एस्ट्रोनॉमी को मानव इतिहास की सबसे पुराने विज्ञानं के रूप में भी जाना जाता है, जोकि इन्हीं तारों को जानने से ही शुरू हुई थी। लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ टेलिस्कोप के आविष्कार, सत्रहवीं शताब्दी में गति के नियमों की खोज नें विज्ञान को टो एक नया रूप दिया ही लेकिन साथ ही में हम इंसानों को ये भी बताया की धरती के रात के आसमान में नज़र आने वाले ये तारे कुछ और नहीं बल्लकी हमारे ही सूरज के जैसे सूरज है।
आने वाले समय में जब विज्ञानं नें और तरक्की की और 19वीं शताब्दी में फोटोग्राफी और स्पेक्ट्रोस्कोपी नें दूर की वस्तुओं का अध्ययन करना आसान कर दिया तो इससे इन तारों के बारे में हमने अधिक जानना शुरू कर दिया।
इसके बाद इंसानों के मन में सवाल आया कि आखिर ये तारे कैसे बनते हैं? आखिर तारों का जनम कैसे होता है?
इस आर्टिकल में हम इसी सवाल का जबाव जानेंगे।
तारे क्या हैं?
जब हम घर बनाते हैं, तो उस घर को बनाने में जो सबसे छोटी यूनिट का इस्तेमाल करते हैं वो ईंट होती है। एक-एक ईंट को जोड़ कर एक बहुत बड़ा घर बनाया जा सकता है।
ठीक इसी तरह अगर आप ब्रहमांड के स्केल पर आकर देखते हैं तो हमें बहुत बड़े-बड़े स्ट्रक्चर देखने को मिलते हैं जैसे कि गैलेक्सी, क्लस्टर आदि। लेकिन इन सभी स्ट्रक्चर की सबसे छोटी यूनिट एक तारा होता है। यानि आप ये कह सकते हैं कि तारे इस पूरे ब्रहमांड के बिल्डिंग ब्लाक हैं। तारे ही इस ब्रहामंड को बनाते हैं और तारे ही इस ब्रहामंड को चलाते हैं।
तारों का जन्म कैसे होता है?
Stellar Nurseries क्या होती हैं जहाँ तारे बनते हैं?
जहाँ तारों का जन्म होता है उस जगह को Stellar Nurseries कहा जाता है। ये स्टेलर नर्सरी Interstellar Medium में पाई जाती है जहां हर एक सेंटीमीटर में 104 से लेकर 106 पार्टिकल पाए जाते हैं। इनमें करीब 70% हाइड्रोजन, 28% हीलियम और करीब 1.5% अन्य भारी तत्व पाए जाते हैं।
interstellar medium के वो इलाके जहाँ इन तत्वों की मात्र ज्यादा होती है वहां बहुत ही घने बादल बन जाते हैं जिन्हें हम Diffuse Nebulae भी कहते हैं, और इन्हीं घने इलाकों में तारों का जन्म होता है। यहाँ पर हाइड्रोजन गैस अपने Molecular Form (H2) यानि मॉलिक्यूलर स्वरुप में होती है और इसी वजह से इन Nebulae को Molecular Clouds भी कहा जाता है।
Nebula को हिंदी में निहारिका कहा जाता है। Nebula जहाँ एक Nebula को कहा जाता है वहीं Nebulae एक से ज्यादा Nebula को कहा जाता है यानि कि निहारिकायें।
Molecular Clouds में जहाँ गैस का घनत्व ज्यादा होता है उसकी वजह से एक लम्बी सघन आकृती बन जाती है जिन्हें Filaments कहा जाता है और इन्हीं filaments में तारे जन्म लेते हैं। आपने पहले के बल्ब देखे होंगे, जैसे उन बल्ब में एक फिलामेंट होता है जो ग्लो करता है ठीक उसी तरह ब्रहमांड के फिलामेंट भी ब्रहमांड को एक चमकदार तारा प्रदान करते हैं।
ये फिलामेंट समय के साथ बड़े होते जाते हैं और जगह जगह पर ज्यादा सघन और बहुत जगहों पर घुमावदार हो जाते हैं जिससे इनकी आकृति जटिल हो जाती है।
कई बार ये बादल बहुत सी जगहों से टूट भी जाते हैं जोकि फिर अलग-अलग तारों का निर्माण करते हैं।
Stellar Nurseries का अकार
Stellar Nurseries अकार में बहुत बड़ी होती हैं क्योंकि इन मॉलिक्यूलर क्लाउड्स में गैस के कण पृथ्वी के मुकाबले बहुत कम होते हैं, हालांकि अन्तरिक्ष के Vacuums से ये कहीं ज्यादा घने होते हैं। एक बहुत बड़े मॉलिक्यूलर क्लाउड में एक CM3 में सिर्फ 100 पार्टिकल्स ही देखे गये हैं।
इस वजह से दैत्याकार मॉलिक्यूलर क्लाउड का व्यास यानि कि Diameter 100 लाइट इयर्स भी हो सकता है। ये इतना ज्यादा है की प्रकाश को इस दूरी को तय करने में 100 साल लग जायेंगे। अकार में इतना बड़े होने के बाद इनका Massयानि कि भार हमारे सूरज के मुकाबले 60 लाख गुना तक हो सकता है। लेकिन इन मॉलिक्यूलर बादलों के अन्दर का तापमान -441° F तक ही होता है।
हमारे आस पास मौजूद Stellar Nurseries
हमारी मंदाकिनी यानि Galaxy में करीब करीब 6000 से भी ज्यादा मॉलिक्यूलर क्लाउड पाए गये हैं जिससे पता चलता है कि अभी हमारी गैलेक्सी में तारे बनाने की बहुत क्षमता है। यहाँ तक कि हमारी गैलेक्सी के कुल भार का आधा भार इन्हीं galactic Interstellar medium का है जहाँ पर Molecular Clouds पाए जाते हैं।
हमारे सूरज के सबसे नजदीक Orion Nebula है जो करीब 1300 Light Years की दूरी पर मौजूद है। इस nebula में मैसिव यानि बड़े तारे जन्म ले रहे हैं। हालांकि एक Stellar Nursery हमारे बहुत पास है जो करीब हमसे 400 से 450 Light Years दूर है जिसे ρ Ophiuchi cloud complex कहा जाता है। इस complex में हल्के तारे बनते हैं।
तारे कैसे बनते हैं?
Molecular Clouds में पार्टिकल्स आपस में टकराते रहते है, लेकिन उनका तापमान बहुत कम बना रहता है। ब्रहमांड में बहुत से ऐसे इवेंट होते हैं जो उस मॉलिक्यूलर क्लाउड को डिस्टर्ब कर देते हैं और उसमें हलचल पैदा कर देते हैं। देखा जाए तो मॉलिक्यूलर क्लाउड अपने अन्दर के प्रेशर यानि Kinetic Energy और गुरुत्वाकर्षण यानि उनके भार के कारण पैदा होने वाली ग्रेविटी में एक बैलेंस बना कर चलते हैं जिसे हम Hydrostatic Equilibrium कहते हैं।
जब इन क्लाउड्स में हलचल पैदा होती है तो इनमें मौजूद Hydrostatic Equilibrium नहीं रहता और ये किसी जगह पर बहुत ज्यादा सघन हो जाते हैं। ऐसे बहुत से इवेंट हैं जो इस तरह की हलचल पैदा कर सकते हैं जैसे कि एक बादल का दुसरे बादल से टकरा जाना, पास में किसी तारे का फट जाना, किसी सुपरनोवा की वजह से भी ये बादल disturb हो जाते हैं।
Protostar का जन्म
सघन इलाकों में धीरे-धीरे तापमान बढ़ने लग जाता है, बादल का गुरुत्व भी बढ़ने लग जाता है। इस वजह से आसपास मौजूद गैस भी इसकी बढती कोर में गिरने लग जाती है। तापमान बढ़ने की वजह से इस पूरे बादल की कोर से Infrared Radiation निकलने लग जाता है जिससे ये चमकने लग जाती है।
इसी बीच इस बादल के सघन इलाकों में जहाँ कोर चमक रही होती है वहां तापमान इतना बढ़ जाता है कि हाइड्रोजन गैस और सभी मौजूद गैसें भारी मात्रा में रेडिएशन छोड़ने लग जाती हैं। इस तरह से बादल में एक छोटे से तारे का जन्म होता है जिसे हम प्रोटोस्टार (Protostar) कहते हैं, ये किसी भी तारे का शुरूआती रूप होता है।
हालांकि प्रोटोस्टार भी एनर्जी रिलीज़ करता है लेकिन वो किसी सामान्य तारे की तरह Nuclear Fusion से उर्जा Release नहीं करता, Protostar से निकलने वाली सारी उर्जा सिर्फ रेडिएशन से ही आती है।
तारे का जन्म
जब प्रोटोस्टार के अन्दर का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो आखिर में उस प्रोटोस्टार की कोर में Nuclear Fusion की अभिक्रिया शुरू हो जाती है। तापमान करीब 50 लाख केल्विन तक पहुँच जाता है और इस तापमान पर हाइड्रोजन के अणु आपस में जुड़ने लग जाते हैं और भारी अणुओं का निर्माण होने लग जाता है।
इस निर्माण से जो उर्जा निकलती है वो बहुत ज्यादा होती है जोकि Einstein की Energy-Mass Equivalence Equation से समझी जा सकती है। ये Equation E=MC2 है जोकि अपने आप में बहुत प्रसिद्ध Equation है।
जैसे-जैसे अधिक गैस उस तारे के अन्दर गिरती जाती है वैसे ही तारे का गुरुत्व भी बढ़ता जाता है और Nuclear Fusion की अभिक्रिया भी उतनी ही तेज़ होती जाती है। आखिर एक ऐसा पड़ाव आता है कि Nuclear Fusion से पैदा होने वाली उर्जा और गुरुत्व की उर्जा एक दुसरे को Balance कर देती है और उसी समय उस तारे का तापमान भी एक सामान्य परिस्थिती में आ जाता है जिसके बाद Nuclear Fusion की अभिक्रिया रूकती नहीं है।
इस तरह से एक तारे का जन्म हो जाता है और इस ब्रहमांड में ये तारा अब करोड़ों सालों तक जियेगा।
तारे कैसे बनते हैं?
जब Molecular Clouds में किसी तरह से Disturbance होती है तो उसमें मौजूद गैस इकट्ठी होकर एक प्रोटोस्टार का निर्माण करती है। प्रोटोस्टार जब ज्यादा बड़ा हो जाता है तो उसमें Nuclear Fusion की अभिक्रिया शुरू हो जाती है जिससे तारों का जन्म होता है।
प्रोटोस्टार क्या होते हैं?
जब molecular clouds में गैस एक जगह पर इकट्ठी हो जाती है तो उसका तापमान बढ़ने लग जाता है जिस वजह से वो इलाका अन्तरिक्ष में रेडिएशन छोड़ने लग जाता है। गैस एक जगह पर एक तारे के अकार में इकट्ठी हो जाती है लेकिन अभी उसमें Nuclear Fusion की अभिक्रिया शुरू नहीं हुई होती। तारे की सीसी स्टेज को प्रोटोस्टार का नाम दिया जाता है।
प्रोटोस्टार और तारे मन क्या अंतर है?
तारे से निकलने वाली उर्जा Nuclear Fusion Reaction से आती है जबकि प्रोटोस्टार से निकलने वाली उर्जा किसी Nuclear Reaction नहीं बल्कि रेडिएशन से आती है जोकि अधिक तापमान की वजह से निकलता है।