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ग्रह और तारों में क्या अंतर है | Grah or Tare me kya antar hai?

ग्रह और तारों में क्या अंतर है: इस ब्रहमांड में अनेकों ही खगोलीय पिंड है जो इस असीम अन्तरिक्ष में भरे पड़े हैं, हर एक खगोलीय पिंड की अपनी एक ख़ास पहचान है और उसकी अपनी ख़ास विशेषताएं होती हैं। ब्रहमांड में मौजूद इन पिंडों में से सबसे सामान्य तारे और ग्रह माने जाते हैं जिनको हम अपनी पृथ्वी से आसानी से देख सकते हैं।

तारे और ग्रह पृथ्वी से देखने पर रात के समय असमान में एक बिंदु की तरह चमकते हुए ही दिखाई देते हैं, दोनों ही खगोलीय पिंड देखने पर एक ही जैसे दिखाई देते हैं जैसे दोनों ही असमान में कोई बिंदु हों। लेकिन ऐसा नहीं है, तारों और ग्रहों में बहुत फर्क होता है।

तारों और ग्रहों में कुछ फर्क ऐसे होते हैं जो हम पृथ्वी से देख कर ही बता सकते हैं और कुछ फर्क जानने के लिए हमें कुछ विशेष उपकरणों की जरूरत पड़ती है। लेकिन इस लेख में हम आपको तारों और ग्रहों के बीच में कौन-कौन से भेद हैं उसकी जानकारी देने वाले हैं।

तारे क्या होते हैं?

तारे अन्तरिक्ष में मौजूद ऐसे खगोलीय पिंड होते हैं जो Hydrogen और Helium के बने बहुत विशालकाय गेंद होते हैं। तारे प्रकाश और उर्जा का उत्सर्जन करते हैं और इतने भारी होते हैं कि इनके केंद्र में बहुत ज्यादा गुरुत्व और दबाव की वजह से बहुत ज्यादा तापमान हो जाता हो इर इस वजह से ये Hydrogen और Helium के Atoms को एक दुसरे में फ्यूज कर देते हैं जिससे निभिकीय संलयन की अभिक्रिया शुरू हो जाती है।

star formation
star formation

तारों में नाभिकीय संलयन की अभिक्रिया से उर्जा का उत्पादन होता है, तारों में इस प्रक्रिया से भारी तत्वों का निर्माण होता है जैसे की Helium, carbon, Oxygen, Iron आदि। इस तरह से जो तत्व आज हम अपने आसपास धरती पर देखते हैं वो इन तारों में ही बने हैं, इसलिए तारों को Staller भट्ठी भी कहा जाता है।

अन्तरिक्ष में तारों की कोई निश्चित संख्या नहीं है लेकिन अनुमान है कि हमारी आकाशगंगा में करीब 100 अरब तारे हैं। हम तारो को जब पृथ्वी के आसमान से देखते हैं तो हमें आसमान में 100 अरब तारे तो दिखाई नहीं देते लेकिन Astronomer Dorrit Hoffleit के अनुसार हम रात के आसमान में करीब 4500 तारे ही देख सकते हैं।

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ग्रह क्या होते हैं?

ग्रह किसी तारे के गिर्द चक्कर लगाने वाले वो गोलाकार पिंड होते हैं जो एक निश्चित पथ पर सूर्य या किसी भी तारे को ऑर्बिट करते हैं। हालांकि 2006 में International Astronomical Union द्वारा ग्रहों को लेकर एक परिभाषा पेश की गई जिसमें किसी भी खगोलीय पिंड को ग्रह कहलाने के लिए 3 परिस्थितियाँ रखी गयीं जोकि निम्नलिखित हैं।

परिस्थिति 1:

ग्रह सूर्य को एक निश्चित पथ में ऑर्बिट करता है मतलब की एक ग्रह सूर्य या तारे के गिर्द घूमता है और साथ ही उस पिंड का व्यास 2000 किलोमीटर से ज्यादा होना चाहिए।

परिस्थिति 2:

पिंड अकार में इतना बड़ा होना चाहिए कि उसका द्रव्यमान इतना हो कि उसका गुरुत्वाकर्षण बल पिंड को गोलाकार अकार में रखे।

परिस्थिति 3:

ग्रह इतना बड़ा और भारी होना चाहिए कि वो अपने आसपास के इलाके में इकलौता बड़ा पिंड हो जो सूर्य का चक्कर लगा रहा हो। यनि ग्रह अपने आसपास के इलाके में अपना प्रभुत्व रखता हो।

अगर ये तीनों परिस्थितियाँ पूरी हो जाती हैं तो एक पिंड ग्रह कहलाने लायक हो जाता है।

अगर इस ब्रहमांड में देखा जाए तो ग्रह तारों की तुलना में बहुत ज्यादा पाए जाते हैं या हम ये कह सकते हैं कि ब्रहमांड में आम तौर पर ग्रहों की संख्या ज्यादा है। हमारे सौरमंडल में कुल 8 ग्रह हैं जोकि 2 भागों में बंटे हुए हैं।

अंदरूनी ग्रह:

हमारे सौरमंडल में पाए जाने वाले वो ग्रह जोकि एस्टेरोइड बेल्ट से पहले आते हैं उन्हें हम अंदरूनी ग्रह कहते हैं। सौरमंडल में कुल 4 अंदरूनी ग्रह हैं, जोकि हैं बुध ग्रह, शुक्र ग्रह, पृथ्वी और मंगल ग्रह।

सभी अंदरूनी ग्रहों को अगर देखा जाए तो सभी ठोस और चट्टानी ग्रह हैं और बाहरी ग्रहों की तुलना में अकार में छोटे हैं लेकिन अधिक घनत्व वाले हैं।

बाहरी ग्रह:

हमारे सौरमंडल में जो ग्रह एस्टेरोइड बेल्ट के बाद पाए जाते हैं उनको हम बाहरी ग्रह कहते हैं। सौरमंडल में कुल चार ही बाहरी ग्रह हैं, जोकि हैं ब्रहस्पति ग्रह, शनि ग्रह, अरुण ग्रह और वरुण ग्रह।

बाहरी ग्रह अकार में सौरमंडल के अंदरूनी ग्रहों से बड़े हैं। सभी ग्रह गैसों के मिश्रण के बने हैं और इन्हें हम गैसीय ग्रह भी कहते हैं। इनका घनत्व बहुत कम होता है और यहाँ तक कि शनि ग्रह का घनत्व तो इतना कम है कि अगर उसको पानी पर तेरा दिया जाए तो वो डूबेगा नहीं।

बाहरी गैसीय ग्रहों के चाँद बहुत अधिक मात्रा में होते हैं और इसके अलावा गैसीय ग्रहों के इर्द-गिर्द छोटे-छोटे कणों से बने बेहद खुबसूरत छल्ले होते हैं।

ग्रहों और तारों में मुख्य भेद | Grah or tare me kya antar hai

भेदतारेग्रह
अर्थतारे वो खगोलीय पिंड होते हैं जो Thermonuclear Fusion से खुद का प्रकाश उत्सर्जित करते हैं।ग्रह वो खगोलीय पिंड होते हैं जो एक निर्धारित रस्ते पर तारों का चक्कर लगाते हैं।
प्रकाशतारों के पास खुद का प्रकाश होता है।ग्रहों के पास खुद का प्रकाश नहीं होता।
उर्जातारे प्रकाश को उत्सर्जित करते हैं।ग्रह प्रकाश को ग्रहण करते हैं और रिफ्लेक्ट करते हैं।
पोजीशनतारे सौरमंडल के केंद्र में होते हैं।ग्रह सौरमंडल के सहकेंद्रित ऑर्बिट में तारे का चक्कर लगाते हैं।
आकारतारे आकार में ग्रहों के मुकाबले बहुत बड़े होते हैं।ग्रह अकार में छोटे होते हैं।
तापमानतारों के अन्दर उनके केंद्र में परमाणु अभिक्रिया होती है इसलिए तारे बहुत ज्यादा गर्म होते हैं। तारों का तापमान बहुत ज्यादा होता है।ग्रह का बाहरी तापमान तारों के मुकाबले बहुत कम होता है क्योंकि ग्रहों में कोई उर्जा का स्त्रोत नहीं होता। लेकिन ग्रहों के केंद्र में दवाब की वजह से तापमान बहुत ज्यादा हो जाता है।
संख्याहमारे सौरमंडल में एक ही तारा है और अक्सर तारे अकेले ही पाए जाते हैं। इसके अलावा बाइनरी तारे भी और तीन तारों के समूह भी देखने को मिलते हैं।अक्सर ग्रह तारों का चक्कर लगाते हैं और उनकी कोई निर्धारित संख्या नहीं है। हमारे सौरमंडल में 8 ग्रह हैं। इसके अलावा बिना तारों के अकेले ग्रह भी अन्तरिक्ष में घूमते हुए मिल जाते हैं जिन्हें लावारिस ग्रह भी कहा जाता है।
टिमटिमानाग्रहों के वातावरण की वजह से दूर के तारे हमें टिमटिमाते हुए दिखाई देते हैं।ग्रह किसी भी प्रकार की लाइट नहीं छोड़ते इसलिए या तो वो दिखाई ही नहीं देते या फिर वो इतनी नजदीक होते हैं की ग्रहों का टिमटिमाना संभव नहीं हो पाता है, इसलिए ग्रह टिमटिमाते नहीं है।
संयोजनतारे मुख्य रूप से Hydrogen, Helium और अन्य हलके पदार्थों से बना होता है।चट्टानी ग्रह अक्सर भारी पदार्तों से बने होते हैं और गैसीय ग्रह अक्सर हलकी गैसों और हलके पदार्थों से बने होते हैं।
निर्माणतारों का निर्माण अन्तरिक्षीय गैस और धूल से होता है। अक्सर निहारिकाओं को तारों का जन्म स्थान माना जाता है।ग्रहों का निर्माण तारों के निर्माण के बाद बचे पदार्थ से होता है।
वेगतारे अक्सर हमें स्थिर दिखाई देते हैं लेकिन तारे आकाशगंगाओं के गिर्द तेज़ी से चक्कर लगाते हैं।ग्रह तेज़ गति से तारों का चक्कर लगाते हैं।
प्रकृति तारे गैस और प्लाज्मा से बने होते हैं इसलिए तारे ठोस नहीं हो सकते।ग्रह चट्टानी यानि की ठोस और गैसीय दोनों तरह के हो सकते हैं।

ग्रहों और तारों में अंतर

ग्रहों और तारों के अंतर को अब विस्तार से समझते हैं। Grah or tare me kya antar hai in Detail

Difference between stars and planets  (Grah or tare me kya antar hai)
Difference between stars and planets

निर्माण

तारे: तारे बहुत बड़े गैस और धूल के बादलों से बनते हैं मुख्य रूप से तारों में Hydrogen और Helium गैस पाई जाती है। इन बड़े बादलों का गुरुत्व इन्हें जोड़ने का काम करता है, गुरुत्व की वजह से धुल और गैस के कण पास आ जाते हैं जिस से दबाव और तापमान बढ़ जाता है। केंद्र में बहुत ज्यादा तापमान की वजह से नाभिकीय अभिक्रिया शुरू हो जाती है जिसकी वजह से धूल और गैस के अणु आपस में जुड़ कर भारी तत्वों का निर्माण करते हैं। इस अभिक्रिया से तारे के अंदर उर्जा उत्पन होती है और उससे प्रकाश उत्पन होता है जिससे एक तारा चमकता है।

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ग्रह: ग्रहों के निर्माण की अगर बात की जाए तो ग्रह तारों के निर्माण के बाद जो पदार्थ बच जाता है, वो सूर्य के गिर्द घुमने लग जाता है जिसे तारा प्रणाली की Protoplanetary Disk भी कहा जाता है। इस डिस्क में धुल और गैस के बचे हुए अवशेष होते हैं जो तारे के बनने के बाद बच गये थे।

समय के साथ ये कण आपस में जुड़ जाते हैं और छोटे-छोटे ग्रहों का निर्माण करते हैं जिन्हें Planetesimals कहा जाता है, फिर ये समय के साथ बड़े होकर ग्रहों का अकार ले लेते हैं। ग्रहों के अंदर बहुत से पदार्थ पाए जाते हैं इसके केंद्र में दबाव की वजह से तापमान ज्यादा होता है लेकिन इतना ज्यादा नहीं होता कि वो नाभिकीय अभिक्रिया शुरू कर के तारा बन जाए।

उर्जा स्त्रोत

तारे: तारों के पास खुद का उर्जा स्त्रोत होता है। तारे चमकते हैं क्योंकि तारों की कोर में परमाणु अभिक्रिया से उर्जा उत्पन्न होती है। तारों से निकला प्रकाश और तापीय उर्जा उनके तारामंडल में उर्जा का संचार करती है।

ग्रह: ग्रहों के पास कोई उर्जा स्त्रोत नहीं होता जिस से कि वो लगातार उर्जा का उत्सर्जन कर सकें। ग्रहों के केंद्र में दबाव के कारण तापमान बहुत ज्यादा होता है जिस से एक ग्रह एक्टिव माना जाता है। ग्रहों की ये अंदरूनी उर्जा ज्वालामुखियों और अन्य ग्रहीय परिस्थितियों को अंजाम देती है।

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ग्रह सूर्य और तारों से मिलने वाली उर्जा को अवशोषित कर लेते है जिस से उनके सतह का तापमान संतुलित रह पाता है और अन्य गतिविधियाँ चलती रहती हैं।

चाल

तारे: आकाशगंगा के अन्दर तारे एक निश्चित ऑर्बिट में चक्कर लगाते हैं पर तारों का ये Motion हमें लम्बे समय अंतराल पर भी बहुत कम ही दिखाई देता है। ज्यादातर हमें तारे एक Galaxy के अन्दर स्थिर ही मालूम पड़ते हैं।

ग्रह: ग्रह तारों के इर्द-गिर्द चक्कर लगाते हैं। तारामंडल में ग्रह अपने मुख्य तारे को ऑर्बिट करते हैं। तारा अपने सभी ग्रहों पर अपने ताकतवर गुरुत्वाकर्षण से पकड़ बनाए रखता है जिस वजह से सभी ग्रह तारे को ऑर्बिट करते हैं। इसके अलावा ग्रह अपने अक्ष पर भी घूमते हैं, जिस वजह से एक ग्रह पर दिन और रात बनते हैं।

आकार

तारे: हमारा सूर्य 14 लाख किलोमीटर तक फैला हुआ है जोकि हमारे सौरमंडल में सबसे बड़ा खगोलीय पिंड है लेकिन तारे सिर्फ इतने बड़े ही नहीं होते। तारों का आकार एक छोटे से शहर से लेकर बहुत बड़ा हो सकता है, इतना बड़ा कि वो हमारे आधे सौरमंडल को भी निगल सकते हैं

ग्रह: ग्रह अक्सर तारों के मुकाबले में बहुत छोटे होते हैं। हमारे सौरमंडल में ब्रहस्पति ग्रह सबसे बड़ा है लेकिन इस ब्रहमांड के सबसे बडे तारों में से एक Betelgeuse Star हमारी पृथ्वी से करीब 141,863 गुना ज्यादा बड़ा है।

द्रव्यमान

तारे: रेड ड्वार्फ तारे सबसे कम द्रव्यमान के माने जाते हैं जोकि हमारे सूर्य से 7.5% तक कम द्रव्यमान के हो सकते हैं।

सबसे ज्यादा भारी तारे Blue giants, Super giants और Hypergiants तारे होते हैं जोकि हमारे सूर्य से 17 गुना ज्यादा भारी हो सकते हैं।

अगर अत्यधिक भारी तारे की बात की जाए तो Eta Carinae नामक तारा जो हमसे 8000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है वो हमारे सूर्य से करीब 150 गुना ज्यादा भारी है और करीब 40 लाख गुना ज्यादा उर्जा छोड़ता है।

ग्रह: ब्रहस्पति ग्रह का द्रव्यमान हमारे सौरमंडल के ग्रहों में सबसे ज्यादा है और इस ब्रहमांड में हमारे इस ग्रह से 10 गुना ज्यादा बड़े ग्रहों का होना एक सामान्य बात है।

ब्रहस्पति ग्रह को अगर 80 गुना द्रव्यमान दे दिया जाए तो वो ग्रह से एक तारा बन जाएगा। अगर 13 गुना द्रव्यमान दे दिया जाए तो वो एक Brown Dwarf बन जाएगा, जोकि हाइड्रोजन गैस को सिर्फ हाइड्रोजन के ही एक Isotope Deuterium में फ्यूज कर पाते हैं, वो दुसरे भारे तत्वों का निर्माण नहीं कर पाते।

हमारे पास एक ग्रह कितना बड़ा हो सकता है अब इसका एक स्पष्ट अनुमान है कि ग्रह ब्रहस्पति के द्रव्यमान के 13 गुना से अगर कम भारी है तो वो एक ग्रह ही बना रहेगा जोकि ग्रहों की उपरी लिमिट हो सकती है।

स्थान

तारे: तारे आमतौर पर अपने तारामंडल के केंद्र में स्थित होते हैं।

ग्रह: तारामंडल में ग्रह अपने तारे को Cocentric Orbit में चक्कर लगाते हैं।

जीवन चक्र

तारे: तारों का एक निश्चित जीवन चक्र होता है जोकि उनके इंधन पर निर्भर करता है। जब किसी तारे का इंधन ख़त्म हो जाता है तो तारा अपने अंतिम समय की ओर बढ़ने लगता है।

ग्रह: ग्रहों का कोई निश्चित जीवन चक्र नहीं होता है, ये एक लम्बे समय तक बने रहते हैं जब तक कि इन्हें कोई अपनी जगह से हटा न दे या किसी भी प्रकार से नष्ट न कर दे।

संख्या

तारे: तारे अक्सर अकेले ही पाए जाते हैं अपने तारामंडल के साथ, इसके अलावा 2 तारों का समूह और 3 तारों का समूह भी इस ब्रहमांड में पाया जाता है।ग इस ब्रहमांड में अरबों तारे पाए जाते हैं।

ग्रह: एक तारामंडल में अक्सर एक से ज्यादा ग्रह पाए जाते हैं इसलिए इस ब्रहमांड में तारों से भी ज्यादा ग्रह पाए जाते हैं।

गुरुत्वाकर्षण

तारे: तारों का गुरुत्वाकर्षण इतना ज्यादा होता है कि उसके गिर्द अनेकों ग्रह घूमते हैं।

ग्रह: ग्रह अक्सर तारों के गिर्द घूमते हैं और उनका गुरुत्वाकर्षण ताओं के मुकाबले बहुत कम होता है।

सतह

तारे: तारों की कोई ठोस सतह नहीं होती है क्योंकि तारे गैस और प्लाज्मा की एक बहुत बड़ी गेंद की तरह होते हैं।

ग्रह: तारों के विपरीत ग्रहों के पास सतह होती है जो ठोस और चट्टानी होते हैं। इसके साथ ही गैस और धूल से बने ग्रहों की कोई सतह नहीं होती है और इसके अलावा ग्रहों कि Semisolid Surface भी होती है।

चुम्बकीय क्षेत्र

तारे: तारों का बहुत मजबूत चुम्बकीय क्षेत्र होता है जोकि तारामंडल को बाहरी अन्तरिक्ष से अलग करता है।

ग्रह: ग्रहों के पास तारों के मुकाबले बहुत कमजोर चुम्बकीय क्षेत्र होता है लेकिन ये तारों से निकलने वाले सौर तूफानों से किसी भी ग्रह के वायुमंडल को बचाए रखता है।

तापमान

तारे: तारों की सतह का तापमान बहुत ज्यादा होता है, हमारे सूर्य की सतह का तापमान करीब 5000° C के करीब है। इसके अलावा उपरी तापमान की कोई सीमा नहीं है, तारा जितना ज्यादा बड़ा होता है उसका तापमान भी उसी हिसाब से ज्यादा होता है।

तारे के केंद्र में तारे का तापमान लाखों डिग्री सेल्सिअस तक पहुँच जाता है।

ग्रह: ग्रह तारों के मुकाबले बहुत ठन्डे होते हैं, ग्रहों की सतह का तापमान उनके वायुमंडल पर निर्भर करता है। अगर किसी ग्रह के पास वायुमंडल नहीं है तो वहां का तापमान बहुत कम होगा लेकिन उसकी जो सतह सूर्य या तारे की तरफ है वो बहुत ज्यादा गरम होगी।

जो ग्रह एक सही वायुमंडल के साथ है जैसे की हमारी पृथ्वी तो उसकी सतह का तापमान सामान्य होगा जिस पर जीवन संभव हो सकता है।

बहुत ज्यादा सघन वायुमंडल वाले ग्रहों का तापमान 400° C तक या फिर उससे भी ज्यादा ऊपर जा सकता है जैसे की हमारे सौरमंडल का शुक्र ग्रह और बाकि के गैसीय ग्रह।

अब क्योंकि ग्रहों के पास अपना कोई उर्जा स्त्रोत नहीं होता है इसलिए ग्रहों की सतह का तापमान उनकी सूर्य से दूरी पर भी निर्भर करता है। जो ग्रह सूर्य या फिर तारे के जितना पास होगा वो उतना ही ज्यादा गर्म होगा और जो ग्रह तारे से जितना ज्यादा दूर होगा ओ उतना ही ज्यादा ठंडा होगा।

वायुमंडल

तारे: तारों का अपना वायुमंडल होता है जोकि प्लाज्मा और बेहद ही गर्म गैसों का बना होता है।

ग्रह: ग्रहों का अपना वायुमंडल होता है जिस से एक ग्रह बाहरी अन्तरिक्ष से अलग बना रहता है। ग्रहों के वायुमंडल में बहुत सी गैसों का मिश्रण होता है।

चक्कर

तारे: तारे अक्सर आकाशगंगा के केंद्र का चक्कर लगाते हैं।

ग्रह: ग्रह तारों का चक्कर लगाते हैं जिस से ग्रहों पर ऋतुएं बनती हैं। इसके अलावा ग्रह अपने अक्ष पर भी घूमते हैं जिस से ग्रहों पर दिन और रात होते हैं।

चंद्रमा

तारे: तारों के चाँद नहीं होते हैं बल्कि ग्रह उनका चक्कर लगाते हैं।

ग्रह: अक्सर ग्रहों के चाँद होते हैं जोकि ग्रहों का चक्कर लगाते हैं लेकिन ये निश्चित नहीं है कि किसी ग्रह का चाँद पक्के तौर पर हो ही।

जैसे कि हमारे सौरमंडल में बुध और शुक्र ग्रह के पास अपना कोई चाँद नहीं है, पृथ्वी के पास अपना एक चाँद है और बाकी ग्रहों के पास एक से ज्यादा चाँद हैं।

छल्ले

तारे: तारों के छल्ले नहीं होते है। जब कोई तारा बन रहा होता है तब उसके गिर्द तारा बनने के बाद बचा पदार्थ घुमने लगता है जिसे Proto Planetary Disc कहा जाता है। ये डिस्क तारे के गिर्द किसी छल्ले की तरह ही दिखाई देती है।

ग्रह: ग्रहों के आसपास छल्लों का होना कोई पक्का नहीं होता है लेकिन बड़े ग्रहों के आसपास उनकी ग्रेविटी की वाजस से धूलकण उनका चक्कर लगाने लग जाते हैं जिस वजह से छल्लों का निर्माण होता है।

विकास

तारे: तारों का अपना एक विकास क्रम होता है जिससे होकर वे गुजरते हैं। पहले तारा गैस और धूल के बड़े बादलों के संकुचित होने से बनता है। ग्रेविटी की वजह से उस धूल और गैस में तापमान और दबाव बहुत ज्यादा बढ़ने लग जाता है।

जब दबाव इतना बढ़ जाता है की Hydrogen के परमाणु एक दुसरे में मिलने लग जाते हैं यानि की फ्यूज होने लग जाते हैं तब तारों के केंद्र में नाभिकीय संलयन की अभिक्रिया शुरू हो जाती है। इस अभिक्रिया से तारे में उर्जा उत्पन होती है। इस तरह से एक तारा जन्म लेता है।

जन्म के बाद तारा जब तक अपने अन्दर मौजूद हाइड्रोजन गैस को इंधन के रूप में इस्तेमाल करके पूरा ख़त्म नहीं कर लेता तब तक तारा ऊर्जा देता रहता है और साथ में ही अपने अन्दर भारी पदार्थों का भी निर्माण करता रहता है।

जब तारे का इंधन ख़त्म हो जाता है तब तारा मरने की कगार पर पहुँच जाता है और तारे के द्रव्यमान के हिसाब से एक तारा मर कर अलग-अलग खगोलीय पिंडों में परिवर्तित हो जाता है।

ग्रह: तारे के बनने के बाद जो पदार्थ बचता है वो तारे के गिर्द एक डिस्क के रूप में घुमने लग जाता है जिसे हम Protoplanetary Disc कहते है। इस डिस्क में मौजूद धूलकण समय के साथ एक दुसरे से चिपक कर बड़े होते जाते हैं और Planetesimals का निर्माण होता है जोकि ग्रह का ही छोटा रूप होता है।

इसके बाद समय के साथ ये छोटे ग्रह बड़े हो जाते है और तब तक बड़े होते रहते हैं जब तक कि इनके आसपास का पदार्थ ख़त्म नहीं हो जाता।

ग्रह बनने के बाद इनका कोई निश्चित जीवन काल नहीं होता जब तक की ये किसी दुसरे बाहरी बल से नष्ट न हो जाए।

प्रकार

तारे: तारे कई प्रकार के होते हैं जैसे कि Main Sequence Star, Red Giant Star, White Dwarf Star, Red Dwarf Star, Neutron Star और Supergiant Stars आदि।

ग्रह: ग्रह भी कई प्रकार के होते हैं जैसे कि Terrestrial Planet, Gas Giants, Exoplanets, Gas Dwarfs, Super Earth, Hot Jupiter, Desert Planet, Ocean Planet और Extragalactic Planet आदि

जीवन

तारे: तारों पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती क्योंकि तारों की सतह नहीं होती है जिस पर जीवन पनप सके। तारों पर तापमान जीवन के लिए बहुत ही ज्यादा होता है इसके साथ ही तारे पर रेडिएशन की मात्रा ज्यादा होने की वजह से जीवन का पनपना नामुमकिन है।

ग्रह: ग्रहों पर अगर परिस्थितियाँ ठीक हों तो जीवन यहाँ पर पनप सकता है।

कौन सी चीज तारों और ग्रहों को अलग बनाती है?

तारों और ग्रहों को अलग करने वाली चीज उर्जा है। तारे परमाणु अभिक्रिया द्वारा उर्जा का उर्सर्जन करते हैं जबकि ग्रह अंदर से किसी भी उर्जा का उत्सर्जन नहीं करते।

क्या सभी तारों के पास ग्रह होते हैं?

नहीं, तारों के पास ग्रहों का होना बहुत से कारकों पर निर्भर करता है जैसे की तारे की उम्र, वहां का वातावरण, और अन्य घटक। कुछ तारों के पास बहुत से ग्रह होते हैं जैसे की हमारे सूर्य के पास है। कुछ तारों के पास एक ही ग्रह होता है और कुछ तारों के पास एक भी ग्रह नहीं होता।

क्या सभी ग्रह तारों का चक्कर लगाते हैं?

नहीं, ज्यादातर ग्रह तारों का चक्कर ही लगाते हैं क्योंकि ग्रहों का निर्माण तारों के आसपास ही होता है, लेकिन कुछ ग्रह ऐसे भी होते हैं जो किसी दुसरे पिंड के गुरुत्व प्रभाव से बाहर निकाल दिए जाते हैं, ऐसे ग्रहों को लावारिस ग्रह कहा जाता है।

तारे क्यों टिमटिमाते हैं?

तारों से आने वाला प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल से होता हुआ हमारी आखों तक पहुँचता है। लेकिन हमारी पृथ्वी का वायुमंडल लगातार बदलता रहता है जिससे तारों से आने वाले प्रकाश का रास्ता बदलता रहता है। इसी वजह से कभी प्रकाश हमारी आखों में पड़ता है और कभी नहीं, और यही वजह है कि तारे हमें टिमटिमाते हुए दिखाई देते हैं।

तारों को उर्जा कहाँ से मिलती है?

तारों को उर्जा उनके केंद्र में होने वाली परमाणु अभिक्रिया से मिलती है। तारों को उर्जा परमाणु संलयन नामक अभिक्रिया से मिलती है।

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