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ICE AGE – धरती पर कब और कैसे आया हिमयुग

अक्सर जब कभी सर्दियों का मौसम आता है तो हम चादर ओढे आग सेकने बैठ जाते है, जलती हुई लौह से अपनी शरीर को तपाकर कड़ाके कि सर्दी से राहत पाते है, मगर जल्द ही सर्दियों का ये मौसम बित जाता है और फिर गर्मियों के दिन चढ़ने लगते हैं, सर्द और जमा देने वाले जाड़े के बाद वसंत, गृष्म और पतझड़ जैसे कई मौसम आते है, हम खुशनसीब है कि हमारे पास रहने के लिए पृथ्वी जैसा ग्रह है

जहां मौसम करवट बदलते रहते है और सालभर में प्रकृति बहुत से खूबसूरत नज़ारें दिखाती है, लेकिन सोचिये क्या हो अगर अचानक से पूरी पृथ्वी पर सर्दियों का मौसम आ जाएँ, हर तरफ बर्फ कि मोटी सी चादर जम जाए और अगले तीस करोड़ साल तक ये सर्दिया जाने का नाम ही ना लें तो?, क्यों इस बात कि कल्पना मात्र से ही डर लगता है ना, इतनी भीषण सर्दी में हमारे आस पास मौजूद पेड़ पौधे और जीव जंन्तु तो क्या हम भी विलुप्त हो जाएंगे और पृथ्वी एक बेजान और सर्द ग्रह बनके रह जाएगी….

अगर हम आज से कुछ लाख साल पहले कि बात करें तो ये महज़ बातें नहीं बल्कि हक़ीक़त थी, आज जिस जीवन को आप पृथ्वी पर आबाद देखते है वो दरअसल इन्हीं हिमयुगों या फिर कहें तो ICE AGES का नतीजा है, पृथ्वी कि रचना के बाद से आजतक करीबन 5 Major ice ages आकर चली गई है, इन हिमयुगों ने पृथ्वी के रूपनांतरण यानी Transformation में एक अहम किरदार अदा किया है, आज जिस स्वरूप में हम इस ग्रह को देख पा रहें है, जिस सहजता के साथ यहां जीवन फलफूल रहा है, वो परिस्थितियाँ भी इन्हीं हिमयुगों का नतीजा है, आइये आज हिमयुगों यानी ICE AGES के बारे में जानते है, आज इन्हीं बर्फ़ीली सदियों का एक जायजा लेते है।

हिमयुग उस काल को कहा जाता है जब पृथ्वी कि सतह और इसके वायुमंडल का तापमान बेहद कम हो जाता है इसके परिणामस्वरूप Glaciers का तेज़ी से विस्तार होता है, बर्फ के ये पहाड़ बढ़ते बढ़ते Polar regions से निकलकर Equators तक आ पहुँचते है, इस दौरान पूरी कि पूरी पृथ्वी बर्फ कि इन चाँदरों के तले ढक जाति है और ये हिमयुग अगले कई लाख सालों तक चलने में सक्षम होते है,

वैश्विक सर्दी कि ये घटना तब शुरू होती है जब पृथ्वी का तापमान इतना निचे गिर जाता है कि कई इलाकों में जमीं बर्फ पिघलना ही बंद कर देती है, ऐसे में Snow यानी भूरभुरी बर्फ सख्त बर्फ़ीली चट्टानों में तब्दील हो जाति है और Glaciers यानी हिमनदों का जन्म होता है, ऐसे में पृथ्वी से Moisture यानि नमी खत्म हो जाति है और Tropical और Sub-Tropical regions पूरी तरह से खत्म होकर Dry और Freezing Zones में तब्दील हो जाते है

सोचिये हिमयुग के इस दौर में साहरा का विशाल मरुस्थल हो या फिर बंगाल के Mangrove Forests सबकुछ बर्फ कि मोटी चादर के निचे दबकर एक सा ही दिखने लगता है!

ICE AGE कि इस Theory ने कब और कहाँ से जन्म लिया

ICE AGE THEORY का जन्म आज से कई सौ साल पहले ही हो चुका था, जब यूरोप में लोगों ने Alps पर्वतश्रंखला को सिकुड़ता देखा था, मगर इस सिद्धांत तब ज़ोर पकड़ा जब 19वीं सदी के स्विस भूविज्ञानी Louis Agassiz ने एक क्रांतिकारी विचार पेश किया, Louis ने

इस धारणा का खंडन करते हुए कि एक भीषण सहलाब ने ऊनी मैमथ जैसे मेगाफौना कि जान ली, उन्होंने कहा कि इन पहाड़ों कि तलछठी पर मौजूद Sedimentation को देखने पर ये साफ मालुम होता है कि कभी इसपर बर्फ एक मोटी चादर रही होगी जो किसी विशेष घटना के चलते ही यहाँ जन्मी होगी, इसका खंडित रूप आज भी यहां देखने को मिलता है, पहाड़ कि तलछठी से निकला ये सिद्धांत जल्द ही Geology और Geomorphology के सिद्धांतो कि नीव हिलाने वाला था क्योंकि ये कहानी पृथ्वी के इतिहास कि थी

जब इतिहास के पन्नो और अतीत कि खदानों को कुरेदा गया तो वो तथ्य निकलकर सामने आये जिसने हमें इस पृथ्वी और इसके विकासचक्र को समझने में सहायता कि, अबतक हिमयुग यानी Ice age कि Detonations को गढ़ दिया गया था, अबतक हम ये समझ चुके थे कि अतीत में पृथ्वी कभी तो बर्फ के आगोश में आई है मगर अबतक भी हम इस व्यापक घटना के कारणों और प्रभावों से अंजान थे, इस कड़ी में हर बीतते दशक के साथ इस मुद्दे पर एक नई खोज होने लगी, Geologists और पृथ्वी कि सतह का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों के दस्ते अलग अलग इलाकों का रुख करने लगे,

किसी ने Artic circle की बर्फ़ीली वादियों में वो पाया जिसकी उन्हें तलाश थी तो किसी ने ग्रीनलैंड के जमे हुए हिमनदों में सुराख़ कर सबूतों को तलाशा आखिर में जब इन सबूतों और Observations का समावेशी अध्ययन हुआ तो एक नई कारण बताओ Theory ने जन्म लिया?, जिसका विवरण कुछ इस प्रकार था

धरती की उम्र साढ़े चार सौ करोड़ साल है, और इन साढ़े चार सौ करोड़ सालों में पृथ्वी पर करीब पाँच Major और Significant Ice ages आई है, जिसमें पहली Ice age आज से करीब 2 करोड़ सालों पहले आई थी, वैज्ञानिको ने इस हिमयुग को Huronian ice age का नाम दिया है, इसके आलावा चार और Major ice ages भी आएं जिनमें सबसे Recent Quaternary Ice Age था जो आज से करीब 30 लाख साल पहले शुरू हुआ था

आप ये बात जान हैरान रह जायेंगे की ये हिमयुग आज की तारीख तक भी जारी है, जी हाँ हम आज भी एक Ice age में जी रहें है, वैज्ञानिको के अनुसार ये Ice age अपनी Warm interglacial स्टेट में है जिसे शुरू हुए करीब 11 हज़ार साल बित चुके हैं और अगले कई और सालों तक इसके जारी रहने की आशंका है,

पहले ice age जिसे हम Huronian ice age के नाम से जानते है, दरअसल एक ऐसा बर्फीला दौर था जिसकी शुरुआत आज से करीब दो सौ करोड़ साल पहले हुई थी, उस दौर में पृथ्वी Single Cellular Organisms का घर हुआ करता था, इसका शुरुआती चरण आज से 2.3 से 2.4 सौ करोड़ सालों पहले देखने को मिला था, ये बेहद भीषण सर्दी का युग था, इस दौरान पहली बार पृथ्वी ने जमा देने वाले जाड़े को देखा था,

वैज्ञानिक ये अनुमान लगाते है की इस ice age के शुरू होने की वजह वो जवालमुखी रहे होंगे जिन्होंने पृथ्वी की उतपत्ती के बाद से लगातार उदगार किया होगा मगर कुछ भूगोलक कारणों के चलते वे कुछ समय के लिए erupt होना बंद हो गए होंगे जिसका नतीजा ये निकला की धरती के वायुमंडल से Carbon dioxide gas की कमी हो गई होगी, और आप अच्छी तरह से जानते है की यहीं वो गैस है जो विभिन्न ग्रहों के वायुमंडल में गर्मी बनाएं रखने में मदद करती है,

ऐसे में Carbon dioxide का आभाव पृथ्वी को सर्द तापमान की ओर ले गया होगा, परिणामस्वरूप धरती ने अपना पहला Snow ball period या फिर यूँ कहें की ice age encounter किया!

और ये ice age अगले साढ़े 11 हज़ार सालों तक चलता रहा, 110 सदियों लम्बे जाड़े के बाद फिर कहीं जाकर पृथ्वी ने गरमाना शुरू किया, और यहाँ जीवन के पनपने की कार्यवाही शुरू हुई,

फिर आई बारी Deep freeze की

आज से 850 Million सालों पहले शुरू हुई ये दूसरी ice age Cryogenian period के नाम से जानी जाती है, करीब 20 करोड़ सालों तक चला ये हिमयुग पृथ्वी को इसके द्वारा अनुभव की गई सबसे भीषण सर्दियों तक ले गया, Researchers इस बात का अंदेशा ज़ाहिर करते है की ये ice age पृथ्वी पर मौजूद कुछ खास Life forms के चलते शुरू हुआ, इसके पीछे ये Thoery दी जाती है की Multicellular organisms के समंदरो में डूबकर मर जाने के चलते पृथ्वी पर Carbon dioxide gas का emission तेज़ी से गिर गया जिसके चलते वायुमंडल अपनी गर्मी बनाएं रखने में असक्षम हो गया और पृथ्वी ice age के इस बर्फ़ीले युग में लुढ़क गई!, वैज्ञानिक ये मानते है की ये ice कुल दो चरणों में बंटी थी जिसमें आज से 750 से 700 Million सालों पहले शुरू हुआ Sturtian glaciation और फिर 660 to 635 million सालों के दरमियाँ आया Marinoan glaciation शामिल है, कुछ Researchers का कहना है की इस दौरान हमारी पृथ्वी एक Snowball यानि बर्फ के गोले में तब्दील हो गई थी, लिहाजा आज भी वैज्ञानिक इस दावे को लेकर कशमकश में है, वे ये समझने की कोशिश में जुटे है की असल में तब हुआ क्या था?

Mass extinction

तीसरा हिमयुग जो आज से करीब 360 Million सालों पहले शुरू हुआ और अगले 10 करोड़ सालों यानी 260 Million Years पहले तक चलता रहा, “Mass extinction” का दौर कहलाया क्योंकि इस दौरान पृथ्वी पर वो बदलाव आएं जिसने यहां की Ecology को पूरी तरह से बदलकर रख दिया, पेड़-पौधो और जीव जंन्तुओ की विलुप्ती का ये दौर पृथ्वी के इतिहास में होने वाले किसी भी extinction से कई ज़्यादा विराट और प्रभावी था,

ये आज से 25 करोड़ साल पहले हुए Permian extinction के बाद दूसरा सबसे बड़ा extinction था जिसमे पृथ्वी पर मौजूद लगभग 90 फीसद जंन्तुओ की प्रजातियों को अपने आगोश में ले लिया था, परिणामस्वरूप इस हिमयुग के खत्म होने के बाद ऎसी Flora का जन्म हुआ जो एक और ice age का कारण बनीं!

ये दौर बना पृथ्वी पर वनस्पतियों के वृचस्प का दौर जिसे हम कहते हैं “Plants invade the land

Cryogenian glaciation की तरह ही Karoo नामक इस ice age ने भी दो विभिन्न चरणों को देखा, जिसमें पहला था Mississipian period जो 359 से 318 million years तक चला और फिर आया Pennsylvanian period जो 318 to 299 million years तक रहा!

इस age के होने के पीछे की वाजह पिछले ice ages में जान गवाने वाले पेड़ पौधे हो सकते हैं, इसे लेकर वैज्ञानिको का ये तर्क हैं की जब पेड़ पौधे मरके एक दुसरे के उपर पड़ गए तो हिमयुग की समाप्ति के बाद तेज़ी से उनका उदय हुआ, इस सिलसिले में वो तेज़ी से विस्तार करने लगे, उन्होंने वायुमंडल से Carbon dioxide gas खींचीन शुरू कर दी

नतीजा ये निकला की Green House effect weak पड़ने लगा और Earth का Temperature तेज़ी से गिरने लगा, और आख़िरकार एक नई Ice age : Karoo ice age की शुरुआत हुई!

Antarctica freezes over

हमेशा से ही Antarctica बर्फ़ीला और बंजर इलाका नहीं था, आज से करीब 34 million साल पहले तक Antarctica में बर्फ का नामोनिशान तक नहीं था, लेकिन जल्द ही बढ़ती हुई सर्दियों के चलते वहां एक Glacier ने जन्म लिया, और फिर 2 करोड़ साल बाद जब Global Temperature 8 डिग्री सेल्सियस निचे गिरा तो Antarctica जमने लगा और कुछ यूँ southern ice sheet का जन्म हुआ, तापमान में आई ये गिरावट हिमायलय पर्वतों के उदय का नतीजा थी,

जैसे जैसे ये पहाड़ उपर की उठे तो उनका वायुमंडल से सम्पर्क बढ़ता गया जिससे Carbon dioxide gas खत्म होने लगी और Green house effect घटकर वायुमंडल को प्रभावित करने लगा, ये तो आज से करीब 3.2 million सालों पहले की बात हैं की Northern Hemisphere पर बर्फ जमनी शुरू हुई, वरना Greenland और Artic circle के बहुत से इलाके सालों तक बर्फ से अछूते रहे थे!…

चंद लाख साल पहले शुरू हुआ Quaternary glaciation आज भी जारी हैं, भले ही आज पृथ्वी पर कई सौ फिट मोटी बर्फ की चाँदरे मौजूद नहीं हैं मगर इन पुरानी ice sheets के खंडित हिस्से आज भी मौजूद हैं जो चिंखकर चिंखकर ice age के दौर की गवाही पेश करती हैं, इन्हें पढ़कर हम पृथ्वी के Evolution को समझकर आगे की धार्णानों को सही या गलत ठहरा सकते हैं,

“कुदरत के सामने इंसान की एक नहीं चलती”, ये महज़ एक जुमला नहीं बल्कि हक़ीक़त है वो हक़ीक़त जिसे सालों से इंसान मानता आया है और अगले कई सालों तक मानता रहेगा, हम कुदरत ताकवर नहीं हो सकते आज हम अपनी Advance Technology के दमपर बड़े बड़े Megaprojects तो बना रहें है मगर हमें इस सबके बिच कुदरत का खास ख्याल रखना पड़ता है, क्योंकि जब जब हम कुदरत की खिलाफत करते है तब तब हमें तबाही और बर्बादी के मज़र देखने को मिलते है,

फिर चाहें वो किसी बेहद बड़े डैम का ताश के पत्तों की तरह ढह जाना हो या फिर समंदरो का उफनकर शहरों पर बरसना हो, चाहें हम कितने भी बड़े क्योंना हो जाएँ प्रकृति के समक्ष हमारा कद हमेशा छोटा ही रहेगी, इसी कड़ी में पृथ्वी पर मौजूद जीवन ने पिछले हिमयुगों के दौरान अपने आपको परिस्थितियों के अनुरूप ढालना सिखा है, अनुकूलन का ये सिलसिला बहुत सी Life forms ने Posses किया और जो ना कर सके वो जीवन की रेस से ही बाहर हो गए, वो विलुप्त हो गए

बात करें अगर अगले हिमयुग की या फिर भविष्य में आने वाली ice age के Peak की तो इसे भी वैज्ञानिकों द्वारा Predict कर दिया गया हैं, Acording to scientists 6th Ice age के ट्रिगर होने पीछे Directly Co2 का drop इन्वॉल्व नहीं होगा, Like the other ice ages, बल्कि इस बार एक Astronomical Factor इस age को trigger करेगा, हम सभी ये जानते हैं की जिस तेज़ी के साथ इंसान Carbon emission करते जा रहें हैं ऐसे में आने वाले कल में Problem ice age नहीं बल्कि Global Warming बनेगी जिसके चलते Sea levels rise होंगे और हमारे शहरों को अपने आगोश में लेंगे

अगर हम किसी तरह इस मुसीबत से निजात पा भी लें तो ice age का खतरा हमारा पीछा नहीं छोड़ेगा, अगला ice पृथ्वी के सूरज से दूर जाने के चलते होगा, हर कुछ हज़ार सालों बाद एक ऐसा Period आता हैं जब Sun के arounds Planet की orbit expand हो जाती हैं, remember Sun के around earth और बाकी ग्रह किसी Perfect Circular orbit में नहीं घूमते बल्कि उनका revolution एक Elliptical या फिर यूँ कहें की Oval Shaped Orbit में होता हैं जिसमें एक पॉइंट पर वो सूरज के काफी करीब होते हैं और एक पॉइंट पर उससे काफी दूर और आने वाले कुछ हज़ार सालों में इसी Extreme point के बेहद दूर हो जाने की सम्भवाना जताई गई हैं,

लेकिन यहाँ सवाल ये हैं की इससे क्या ही फ़र्क पड़ता हैं, मान लीजिये इस Extreme point के चलते हम सूरज से इतने दूर जा पहुचे की हमारे यहाँ बर्फ जम गई और जीव जंन्तुओ की मौत होने के चलते Carbon dioxide और Methane जैसी गैसो का उत्सर्जन रुक भी गया तो फिर जब हम सूरज के करीब आएंगे तो बर्फ की वो चादर पिघल नहीं जाएगी?, Well Unfortunately ऐसा नहीं होगा क्योंकि महज़ एक बार सूरज के करीब से होकर गुज़रने पर वो बर्फ की चादर नहीं पिघलेगी नतीजतन अगले कई सालों तक पृथ्वी बर्फ की चादर में ढकी रहेगी…..

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