Astronomy

Phobos and Deimos | मंगल ग्रह के रहस्यमई चाँद

Phobos and Deimos: अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के बीच मंगल ग्रह सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला ग्रह है क्योंकि इसे हम इंसानों के दूसरे घर के रूप में देखा जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि जितना इंटरेस्टिंग यह लाल ग्रह मार्च है उतने ही इंटरेस्टिंग इसकी ऑर्बिट में चक्कर लगा रहे दो उपग्रह है। इनकी डिस्कवरी की कहानी बहुत ही ज्यादा इंटरेस्टिंग है। और इसे जोड़ी कई ऐसी रोचक बातें हैं जो आपका ज्ञान भी बढ़ाएंगे और आपको सोचने पर मजबूर भी कर देंगी।
Phobos और Deimos का नाम Greek Mythological से प्रेरित होकर रखा गया था। यह दोनों हमारे सौरमंडल के सबसे छोटे उपग्रहों में गिने जाते हैं। लिए सबसे पहले हम जानते हैं कि इन दोनों उपग्रहों की डिस्कवरी कैसे हुई।

Discovery

जब गैलीलियो गैलिली ने जुपिटर के उपग्रहों की खोज की तभी से वैज्ञानिकों को ही अनुमान था कि मार्च के भी अपने कुछ उपग्रह हो सकते हैं जो इसकी ऑर्बिट में चक्कर लगा रहे होंगे। मार्स के उपकरणों को खोजने के लिए कई सालों तक वैज्ञानिक प्रयास करते रहे। इन प्रयासों के दौरान मार्स की ऑर्बिट को और गति को अच्छी तरह से स्टडी किया गया और कई बहुत अच्छे टेलिस्कोप की भी मदद ली गई लेकिन वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह के उपग्रह खोजने में कोई सफलता नहीं मिली थी।

मंगल ग्रह के उपकरणों को खोजने के प्रयास सदियों तक चलते रहे लेकिन इस कार्य में सफलता मिली एक American astronomer, Asaph Hall को। 12 August 1877 को मंगल ग्रह का पहला उपग्रह खोज लिया गया। इसके बाद भी कई दिनों तक ऑब्जरवेशन जारी रही और 6 दिन के बाद ही 18 August 1877 को दूसरा उपग्रह भी वैज्ञानिकों ने खोज लिया।

Phobos और Deimos का साइज कितना है?

अगर मंगल ग्रह के इन दोनों उपग्रहों को धरती के उपग्रह चांद और सौरमंडल के बाकी उपग्रह से कंपेयर किया जाए तो यह पता चलता है कि Phobos और Deimos आकार में बहुत छोटे हैं। Phobos का डायमीटर करीब 22.2 km है और Deimos का करीब 12.6 km.
अंतरिक्ष से अगर इन दोनों उपग्रहों को देखा जाए तो यह देखने में सौरमंडल के बाकी पिंडों की तरह नहीं दिखते। इनका आकार बहुत ही अजीब सा है जिसकी वजह से यह देखने पर किसी एस्टेरॉइड की तरह लगते हैं।

Phobos and Deimos
Phobos and Deimos

Phobos और Deimos का Shape irregular क्यों है?

ब्रह्मांड के किसी भी पिंड में गुरुत्वाकर्षण बल उसके पूरे द्रव्यमान को पुष्पेंद्र के केंद्र की ओर खींचता है जिसकी वजह से इन खगोलीय पिंडों को एक गोल आकार प्राप्त होता है। क्या कर पूरी तरह से तो गोल नहीं होता लेकिन अंतरिक्ष से दिखाई पड़ने पर यह गोल ही दिखाई देता है।
Phobos और Deimos दोनों जाकर में बहुत छोटे हैं और इनमें इतना ज्यादा द्रव्यमान नहीं है कि इनको कोई निश्चित आकर मिल पाए। इसीलिए यह अंतरिक्ष में घूमने वाले एक पत्थर की तरह दिखाई देते हैं।

interesting Facts to know about phobos and Deimos

इन दोनों उपग्रहों की सतह पर अगर कोई ऑब्जेक्ट रखा जाए तो वह वहां पर रखा नहीं रहेगा बल्कि वैक्यूम में गति करेगा क्योंकि इन दोनों की ग्रेविटी बहुत कम है। छोटे-मोटे ऑब्जेक्ट्स को भी अपने सतह पर बनाए रखने के लिए भी इनकी ग्रेविटी पर्याप्त नहीं है।

यह दोनों उपग्रह भले ही आकर में बहुत छोटे हो लेकिन फिर भी इनकी सतह पर कई सारे क्रेटर मौजूद है। कुछ क्रिएटर तो इतने बड़े हैं कि वो इन उपग्रहों के Irregular shape का कारण बनते हैं।

Phobos पर बहुत बड़ा क्रेटर मौजूद है जिसका नाम है
‘Stickney Crater’ इस क्रेटर का नामकरण Asaph Hall की पत्नी Chloe Angeline Stickney Hall के नाम पर किया गया था।

Exploration of Martian moons

दुनिया की कहानी स्पेस एजेंसीज में मंगल ग्रह पर कई सारे मिशन भेजे हैं। कई सारे ऑर्बिटल जो मंगल ग्रह की कक्षा में चक्कर लगा रहे हैं वह फोटोस और डिवोर्स की भी स्टडी करते हैं। मंगल ग्रह की कक्षा में चक्कर लगा रहे यह Space probes मंगल के दोनों उपग्रह की कई सारी तस्वीरें भेज चुके हैं। इसके अलावा इन दोनों उपग्रहों के लिए एक अलग से मिशन भेजने के प्रयास भी कई सालों से किये जा रहे हैं।

कुछ समय बाद ही जापान की स्पेस एजेंसी Japan Aerospace Exploration Agency (JAXA) Phobos पर एक मिशन भेजेगा जो कि वहां से कुछ सैंपल्स धरती पर लाएगा‌‌। इस मिशन का नाम है MMX यानी कि Martian Moons eXploration. जापान कई सालों से इस मिशन पर काम कर रहा है और अब फाइनली इसको सितंबर 2024 में लॉन्च किया जाएगा और 2025 तक ये Phobos के नजदीक पहुंच जाएगा‌।
यह मिशन पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है इसलिए NASA और ESA भी जापान को इस मिशन में काफी ज्यादा सपोर्ट उपलब्ध करा रही है। सितंबर 2024 में लांच होने के बाद यह मिशन 2029 तक Phobos से Sample लेके धरती पर वापस आ जाएगा। इस मिशन के पूरे होने के बाद हमको मंगल के इस ग्रह के बारे में और भी ज्यादा जानकारी प्राप्त होगी।

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