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How will ISRO’s CHANDRAYAAN 3 help NASA’s Artemis Moon Mission?

CHANDRAYAAN 3: 7 दिसंबर सन 1972 वो तारीख जब आख़री बार किसी इंसान ने चाँद की सतह पर कदम रखा था। ये NASA का आख़री CREWED MOON MISSION APPOLO 17 था, इस बात को बीते करीब 50 साल हो चुकें है और इन पचास सालों में चाँद की ज़मीन पर किसी शख्स ने जाना तो छोड़िये जाने का ख्याल भी अपने ज़हन में नहीं लाया।

मगर आया साल 2020, हालत बदले, और सोच भी, जिन APPOLO Missions को अमेरिकी सरकार ने पैसे की बरबादी समझ बंद कर दिया था, आज अमेरिका की वही सरकार इस मिशन को एक Pioneer बता कर फिर शुरू करने जा रही है। NASA ने ऐलान किया है की साल 2025 तक वो वापस इंसानों को चाँद की सतह पर लैंड करवा देंगे! ऐसे में इस बेहद बड़े और चुनौतीपूर्ण काम को अंजाम देना बेहद मुश्किल है।

हाल ही में लॉन्च हुआ भारत का चन्द्रयान 3 Moon Mission नासा के Upcoming Moon मिशन के लिए कारगर दाँव साबित हो सकता है। भला भारत का ये मिशन इस दुनिया की सबसे Powerful Space Agency NASA के MOON LANDING MISSION को Successful बनाने में कैसे Contribute करेगा। इन Secretes और Possibilities को बारिकी से समझने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढियेगा।

CHANDRAYAAN 3 चाँद पर कैसे उतरेगा?

4 जुलाई की दोपहर को लॉन्च हुआ चन्द्रयान-3 फिलहाल चाँद के अपने एक लम्बे महीने और करीब 3 लाख 84 हज़ार Kilometers लम्बे मिशन पर आगे बढ़ रहा है। ये Spacecraft फिलहाल अपनी Composite form है, इसके अंतर्गत Top पर इसका Propulsion module है जो दूसरी ओर से इसके Lander Module से docked है साथ ही ये लैंडर अपने भीतर रोवर को संभालें हुए है। इस कड़ी में अगले 30 दिनों तक ये एक Special maneuver approach को Follow करते हुए आगे बढेगा, जिसके अनुसार ये लगातार पृथ्वी के गिर्द चक़्कर काटेगा।

ये एक Ascending Orbit में Earth के around revolve करेगा जिसके चलते हर orbit के साथ ये पृथ्वी से दूर जाता जाएगा और चाँद के करीब आता जाएगा। इस लम्बे चौड़े और अच्छे खासे वक्त की खपत करने वाले रास्ते को चुनने के पीछे की वजह इस मिशन को कम से कम खर्च में अंजाम देना था। अगर हम इस Spacecraft को सीधा चाँद पर पहुँचाना चाहें तो ठीक वैसे ही जैसे APPOLO missions के दौरान किया गया था तो हमें Comparatively काफी ज़्यादा Relative Velocity की ज़रूरत पड़ेगी, जिसे Attain करने के लिए काफी ज़्यादा Fuel और High Power Engines की ज़रूरत है।

इस तरह के Design और Assemble को अरेंज करने के लिए ISRO के पास पर्याप्त Resources मौजूद नहीं है। इस मिशन को एक Limited budget में अंजाम देने के लिए इस लम्बे चौड़े रास्ते को चुनना ही एक मात्र विकल्प है। ख़ैर फिर भी असल समस्या इसका बहुत ज़्यादा वक्त लेकर चाँद तक पहुँचना नहीं है बल्कि असली प्रॉब्लम तो अभी आने वाली है।

चन्द्रयान 3 अपने लॉन्च के करीब 20 दिनों बाद ये Spacecraft Lunar Transfer Trajectory reach कर जाएगा इस कड़ी में ये Earth के Gravitational impact से काफी हद तक मुक्त हो चुका होगा और अब इसी गति भी पहले की अपेक्षा काफ़ी बढ़ हो गई। होगी ऐसे में अब बारी है Lunar orbit में injection perform करने की, इसके अंतर्गत चन्द्रयान Spacecraft Moon के Gravitational orbits में enter करेगा और इसके गिर्द परिक्रमा करना शुरू कर देगा। और लगातार Moon को orbit करते हुए सतह से अपनी दूरियाँ घाटाता जाएगा।

जब यहीं दूरियाँ कम होते होते 100 किलोमीटर के मार्क पर पहुँच जाएंगी तो Lander unit का Propulsion module से Detachment होगा। चाँद की सतह से 100 किलोमीटर ये लैंडर अपने भीतर लगे Thrusters से Back-Way motion करते हुए पीछे की ओर बढेगा, ऐसे में जब इन दोनों Units के बिच एक Safe distance maintain होने के बाद Lander का descend शुरू होता है इस कड़ी में चंद्रयान 3 की लैंडर यूनिट लगातार अपने on board thrusters को Fire करके Maneuver perform करती रहेगी।

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चंद्रयान 3 Safe Landing कैसे करेगा?

इस दौरान सबसे ज़रूरी ये है की लैंडर एक Smooth और Safe landing के लिए अपने Legs की Alignment proper और Precise रखे क्योंकि अगर यहाँ ज़रा सी भी गलती हुई तो ये अंतरिक्षयान दुर्घटना का शिकार हो सकता है। ऐसे में इसके Hardware को भारी नुकसान पहुँच सकता है, लिहाजा इस बार ISRO ने विशेष तौर पर इस spacecraft के design पर काम किया है। लैंडिंग के दौरान कोई भी issue होने पर भी लैंडर के टूट-फुट से बचे रहने और Safe & Sound landing perform करने के लिए दो अहम measures लिए गए है। इसके तहत लैंडर की मजबूती यानी उसकी Physical strength पर खासा ध्यान दिया गया है

CHANDRAYAAN 3
CHANDRAYAAN 3

इसके आलावा इस लैंडर में किसी भी तरह के Hardware या Software failure को होने से रोकने के लिए लॉन्च से पहले दर्जनों बार इसका Test और Demonstration लिया गया है ऐसे में इसके Fail होने की सम्भावना काफी कम हो जाती है। ख़ैर चाँद के विरल वायुमंडल में लैंडर के Propulsion unit के साथ Undock होने के बाद बारी आती है इसके Safely descend कर एक Smooth landing perform करने की। इस कड़ी में ये लैंडर करिब 10 meter per seconds की decent speed के साथ चाँद की सतह का रुख करेगा इस दौरान इस लैंडर को Landing site से align रखने के लिए इसके Maneuver Engines और Main engines को regulative fire किया जायेगा जिसके चलते ये एक Controlled manner में लैंड करे और अपने आगे के मिशन के लिए तैयार है।

Chandrayaan 3 कब लैंड करेगा?

अंदाज़ा है की करीब 23 अगस्त की दरमियानी रात को ये लैंडिंग अंजाम दी जाएगी, इस कड़ी में चंद्रयान 3 लैंडर के सभी engines एक साथ Fire होकर इसके descend को execute करेंगे, चन्द्रमा की सतह पर एक Safe और Smooth Landing perform करने के लिए ये बेहद ज़रूरी है की सभी Systems बेहद Accurately और Precisely काम करें क्योंकि यहाँ हुई ज़रा सी चूक पूरे मिशन को ध्वस्त करके रख सकती है ऐसे में खास तौर पर इस वक्त इस लैंडर में लगे Safety Sensors पर एक बड़ी ज़िम्मेदारी होगी, सभी खतरों को भापकर इसकी लैंडिंग को अंजाम देना।

इस मिशन की पहली और सबसे अहम वरीयता है! फर्ज़ कीजिये इस मिशन ने कामयाबी के साथ चाँद की सतह पर लैंड कर लिया। इसके बाद इसके असली action की शुरुआत होगी इस कड़ी में ये लैंडर चाँद के उस हिस्से का Exploration शुरू करेगा, जो अबतक हमारी निगाहों से छिपा हुआ था। विशेष तौर पर ये चाँद के दक्षिणी धुर्व पर मौजूद Craters के करीब लैंड करके उनमें मौजूद पानी और खनिजो का अध्ययन करेगा। आगे जब नासा का Artemis mission चाँद पर उतरेगा तो उसे अपनी खोज के लिए तमाम सारे data की ज़रूरत पड़ेगी और इसी मामले में चन्द्रयान 3 का ये लैंडर और रोवर वो तमाम ज़रूरी जानकारीया पहले ही जुटा सकते है, जिनकी मदद से आगे चलकर Artemis mission के बड़े Objectives को achieve किया जा सकता है।

चंद्रयान 3 Scientific instruments कैसे नासा की help करेंगे?

Chandrayaan-3 लैंडर ChaSTE यानी Chandra’s Surface Thermophysical से लैस होगा, ये एक ऐसा ख़ास Device है जो चाँद के Thermodynamics पर बारिकी से अध्ययन करेगा ऐसे में यहां Dead Geological Processes से लिंक करके इसके Inner heat dynamics और सूरज आ रहें radiation की भी स्टडी की जा सकेगी, इस स्टडी से निकलने वाले परिणामों के आधार पर हम चाँद पर मनुष्यों को भेजनें से पहले वहां के Heat Signatures को अच्छी तरह से समझ सकते है। ऐसे में ये दो तरीकों से Artemis mission की Help करेगा पहला इसे एक बेहतर और Research Opportunities से भरी Landing site suggest करके और दूसरा moon पर Land करने वाले Astronauts को Sun के घातक radiation से Protect करके।

इतना ही नहीं चंद्रयान 3 की लैंडर यूनिट में ILSA यानि Instrument for Lunar Seismic Activity भी मौजूद है जो वास्तव में उन पहले Scientific Instruments में से एक है जो चाँद पर Seismic Activities की Study करेगा। ये चाँद की Geological सक्रियता को उजागर करने की ओर एक बड़ा कदम होगा, अगर इस मिशन से हमें वहां ज़मीन के काम्पने जैसे कोई भी संकेत मिलते है तो ऐसे में उस Particular Area को Demarcate करके Further Landing के बाद इसपर और ज़्यादा गहराई से Experiments carryout कर सकते है।

ये नासा के Artemis mission के लिए एक नई Research Opportunities को सामने लेकर आएगा। इस सिलसिले में चाँद की सतह पर उतरने वाले Astronauts को Sun के घातक Radiation और Plasma particles के impact से बचाएं रखना भी बेहद ज़रूरी है और ऐसे में इसपर लगा Langmuir Probe readings लेगा और moon पर plasma particles के Flow और उनकी Density का अध्ययन करेगा। ये खोज वाकई इन्तहाई ज़रूरी और आगामी Artemis mission के लिए एक लिए एक Lifesaver साबित होगी, और वो इसलिए क्योंकि आज करीब पचास साल बाद हम फिर चाँद पर इंसानों को भेजनें जा रहें है ऐसे में जब कभी हाड मांस का बना कोई इंसान धरती की सतह को छोड़कर अंतरिक्ष के घंनें अंधेरों या फिर किसी Foreign body पर Land करता है तो उसपर radiation के impact को कम से रखना बेहद ज़रूरी है।

सोचिये जब हम चन्द्रयान की मदद से चाँद के South pole जहां की आगे चलकर NASA का Artemis mission land होगा उसके Plasma signatures को कैपचर कर लेंगे और साथ ही वहां Radiation के trends को भी समझ लेंगे, तो ये मिशन कितना ज़्यादा आसान हो जायेगा, Obviously ISRO इन सभी खोजो के बाद इनसे निकलने वाले परिणामों को publicly AVIALBLE कर देगी ऐसे में नासा भी इससे हासिल हुई READINGS और DATA को Observe करके अपने Mission Artemis को एक Safe और Successful voyage बनाने के लिए निर्णय ले सकेगा!

आखिर में बात करें चंद्रयान 3 के रोवर पर लगे Science experiments और उनसे मिलने वाले data का विश्लेषन कर भविष्य के Artemis mission को अपनी मंज़िल तक पहुँचने में मदद मिलेगी। खास तौर पर इस रोवर लगे Sensors और Cameras Lunar terrain की बेहद detailed images लेंगे, जिन्हें Analyses करके चाँद की Mineralogy और Pedology को बेहतरीन ढंग से समझा जा सकता है। जिससे हमें चाँद ही नहीं बल्कि सौरमंडल की संरचना से जुड़े उन तमाम अनजाने पहलुओं से रूबरू होने का मौका मिलेगा, जो पिछले अरबों सालों से चाँद के सीने में दफ़न है। आप इसपर क्या सोचते है? क्या ISRO चन्द्रयान मिशन की कामयाबी NASA के Artemis missions के लिए एक Game changer होगी या फिर इसका Moon पर Humans की Landing पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ेगा।

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