जब हम बात करते हैं “Mission To The Sun” की, तो नासा का नाम हमें सबसे पहले मिलता है जिसनें हाल ही में सन 2018 में पार्कर सोलर प्रोब सूरज की ओर लांच किया था। लेकिन सिर्फ नासा ही सूर्य पर अकेला नहीं गया है बल्कि इसके अलावा भी कई देश और स्पेस एजेंसी हैं जो सूर्य पर मिशन भेज चुकी हैं।
भारत भी आदित्य L-1 के साथ सूर्य को स्टडी करने जा रहा है। ये भारत का पहला मिशन है जो सूर्य को स्टडी करने के लिए भेजा जा रहा है। इस मिशन को अंतरिक्ष में Lagrange point 1 (L1) पर स्थापित किया जाएगा, जोकि हमारी पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर है।
ये मिशन सूर्य के कुछ बहुत ही रहस्यमई बिन्दुओं पर काम करेगा और हमें सूर्य के रहस्यों के बारे में जानकारी देगा। सूर्य के कोरोना को लेकर इंसान आज भी आशंकित है। हमें नहीं पता कि सूर्य का कोरोना इतना गर्म क्यों होता है? इसके अलावा सूर्य के अंदर कौन सी क्रियाएँ चलती रहती हैं? ये अंतरिक्ष के मौसम और पृथ्वी के मौसम को कैसे प्रभित करता है? इसके अलावा भी कई सवाल हैं जिनके उत्तर हमें इस मिशन से मिलने वाले हैं।
आदित्य L1 मिशन के उद्देश्य
आदित्य L1 मिशन के प्रमुख विज्ञान उद्देश्य निम्नलिखित हैं।
- सूर्य के उपरी वातावरण और वायुमंडल का अध्ययन करना जिसमें कोरोना और क्रोमोस्फीयर दोनों ही आ जाते हैं।
- क्रोमोस्फीयर और कोरोना सूर्य की सतह के मुकाबले इतना गर्म क्यों होता है? इसके पीछे के विज्ञानं को समझना। Ionized Plasma की फिजिक्स, कोरोनल मास इजेक्शन की शुरुआत कैसे होती है और सोलर फ्लेयर्स का अध्ययन।
- सूर्य से निकलने वाले प्लाज्मा के कणों का अध्ययन करना।
- सूर्य के कोरोना और इसके गर्म होने की विधि का गहराई से अध्ययन करना।
- कोरोनल लूप प्लाज्मा कैसे बनते हैं, उनका तापमान, गति और घनत्व को भी स्टडी किया जाएगा।
- कोरोनल मास इजेक्शन का विकास, उत्पत्ति और कार्य प्रणाली का अध्ययन।
- सूर्य की अंदरूनी परतों का अध्ययन करना जिससे कि सूर्य के अंदर चल रही क्रियाओं का पता लगाया जा सके।
- सूर्य के कोरोना और उसके चुम्बकीय क्षेत्र में सम्बन्ध और उनके माप का अध्ययन।
- सूर्य कैसे अंतरिक्ष के मौसम को संचालित करता है और इसका हमारी पृथ्वी पर क्या प्रभाव पड़ता है?
आदित्य L1 के पेलोड
सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य L1 स्पेसक्राफ्ट पर कुल 7 पेलोड लगाये गये हैं। हर एक पेलोड का अपना अलग काम है और इनसे मिलने वाला डाटा सूर्य के लगभग हर रहस्य का पर्दाफाश कर सकता है। आदित्य L1 के सातों पेलोड को निचे विस्तार से समझाया गया है।
1. Visible Emission Line Coronagraph(VELC)
VELC Payload में में एक कोरोनाग्रफ लगा होगा जोकि सूर्य से आ रही सीधी किरणों को रोक देगा। जिससे सूर्य की चमक की वजह से दिखाई न देने वाले कोरोना को हम आसानी से देख पायेंगे। आप कह सकते हैं कि कोरोनाग्रफ से हम कृत्रिम सूर्य ग्रहण का निर्माण करेंगे और फिर उसके बाद हम सूर्य के कोरोना को आसानी से देख पायेंगे।
VELC सूर्य को Visible और Infrared Wavelength में स्टडी कर पायेगा। सूर्य के कोरोना और कोरोनल मास इजेक्शन का भी गहराई से अध्ययन किया जाएगा। हमारे सूर्य का कोरोना लाखों डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म होता है लेकिन हमारे सूर्य की सतह सिर्फ 5 हजार डिग्री सेंटीग्रेड तक ही गर्म होती है।
आखिर सतह और कोरोना के तापमान में इतना फर्क कैसे आता है? आखिर कोरोना इतना गर्म कैसे हो जाता है? इसका जबाब भी हमें इसी पेलोड से मिलेगा।
Sr. No. | पेलोड | क्षमता |
---|---|---|
1 | Visible Emission Line Coronagraph(VELC) | Corona/Imaging & Spectroscopy |
2 | Solar Ultraviolet Imaging Telescope (SUIT) | Photosphere and Chromosphere Imaging- Narrow & Broadband |
3 | Solar Low Energy X-ray Spectrometer (SoLEXS) | Soft X-ray spectrometer: Sun-as-a-star observation |
4 | High Energy L1 Orbiting X-ray Spectrometer(HEL1OS) | Hard X-ray spectrometer: Sun-as-a-star observation |
5 | Aditya Solar wind Particle Experiment(ASPEX) | Solar wind/Particle Analyzer Protons & Heavier Ions with directions |
6 | Plasma Analyser Package For Aditya (PAPA) | Solar wind/Particle Analyzer Electrons & Heavier Ions with directions |
7 | Advanced Tri-axial High-Resolution Digital Magnetometers | In-situ magnetic field (Bx, By and Bz). |
2. Solar Ultraviolet Imaging Telescope (SUIT)
SUIT पेलोड सूर्य को 200 से 400 नेनोमीटर वेवलेंथ पर स्टडी करेगा। इसके अलावा ऐसा पहली बार होगा जब हम सूर्य को 11 अलग अलग फिल्टर्स में स्टडी कर रहे होंगे। ये पेलोड हमें सूर्य के अंदर की जानकारी देगा।
एक बार जब आदित्य L1 अपने निर्धारित स्थान पर पहुँच जायेगा, उसके बाद ये बिना किसी रूकावट के सूर्य का अध्ययन करता रहेगा।
3. Solar Low Energy X-ray Spectrometer (SoLEXS)
ये सोलर कोरोना में होने वाली X-Ray Flairs का अध्ययन करेगा और पता लगाएगा कि कहीं सोलर कोरोना में जो अत्यधिक गर्मी और तापमान उत्पन्न होता है वो कहीं X-Rays की वजह से तो नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि X-Rays में बहुत ज्यादा Enegry होती है।
4. High Energy L1 Orbiting X-ray Spectrometer(HEL1OS)
HEL1OS सूर्य के कोरोना में होने वाले Dynamic Events (गतिशील प्रतिक्रियाओं) का पता लगाएगा जिससे ये निष्कर्ष निकाला जा सके कि आखिर सौर कोरोना में कितनी उर्जा होती है। सौर कणों को वेग देने में कितनी उर्जा लगती है और आखिर वो उर्जा जोकि सोलर मास इजेक्शन के लिए जिम्मेवार है वो सूर्य के किस भाग में बनती है। वो सारी उर्जा एक जगह पर कैसे इकठ्ठा होती है और सौर तूफ़ान को कैसे जन्म देती है।
ऐसे ही कई सवाल हैं जिनके उत्तर हमें हमें आदित्य L-1 के पेलोड HEL1OS से मिलने की उम्मीद है।
5. Aditya Solar Wind Particle Experiment(ASPEX)
आदित्य L-1 Spacecraft पर लगा ये पेलोड सूर्य से निकलने वाली सौर हवा यानि कि Solar Wind को गहराई से स्टडी करेगा। ये पेलोड ASPEX सौर हवाओंलक्षणों और उनके गुणों की जांच करेगा। इसके बाद सौर हवाओं को कौन से घटक प्रभावित करते हैं, सौर हवाओं में किस तरह के बदलाव आते हैं इसकी भी गहराई से जांच की जायेगी।
6. Plasma Analyser Package For Aditya (PAPA)
PAPA सौर हवाओं की बनावट के बारे में बतायेगा और सौर हवाओं में कौन कौन से तत्व होते हैं, यानि सौर हवा किन किन तत्वों से मिलकर बनी है इसपार अध्ययन करेगा। इसके अलावा ये पेलोड हमारे सौरमंडल में सौर उर्जा के विस्तार पर भी गहन जांच करेगा।
7. Advance Tri-Axial High-Resolution Digital Magnetometers
मग्नेटोमीटर का उपयोग सूर्य और अन्य ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड और उनकी दूसरी मैग्नेटिक विशेषताओं को पता करने में किया जाएगा।
आदित्य L-1 मिशन से होने वाली खोजें
1. सौर कोरोना का तापमान
हमारे सूर्य का कोरोना दस लाख डिग्री सेंटीग्रेड से भी ज्यादा गर्म है जभी सूर्य की सतह का तापमान सिर्फ 5 हजार डिग्री सेंटीग्रेड तक ही गर्म है। ये मानव जाती के लिए अब तक की सबसे बड़ी पहेली बनी हुई है कि आखिर सूर्य की सतह से भी हजारों किलोमीटर ऊपर आखिर इतना ज्यादा तापमान कैसे बन रहा है।
आखिर वो कौन सी रहस्यमई शक्तियां हैं जो सौर कोरोना के तापमान को इतना बढ़ा रही हैं। आदित्य L-1 सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने के लिए कोरोनाग्रफ का इस्तेमाल करेगा।
कोरोनाग्रफ एक तरह का साधन होता है जिसके जरिये हम कृत्रिम सूर्य ग्रहण बना सकते हैं। टेलिस्कोप में लगने वाला ये टूल सूर्य से आने वाली सीधी प्रकाश की किरणों को रोक देता है और हमें सूर्य की चमक से बचाता है। सूर्य की चमक न होने की वजह से हम आसानी से सूर्य के वातावरण यानि कि सौर कोरोना को देख पाते हैं।
2. अंतरिक्ष मौसम का अनुमान
सूर्य हमारे पूरे सौरमंडल को नियंत्रित करता है, और साथ ही ये हमारे सौरमंडल के मौसम को भी नियंत्रित करता है। सूर्य के तापमान से ही हमारी पृथ्वी पर जीवन और उर्जा का विस्तार होता है। इस मिशन से हम सूर्य से निकलने वाले सौर कणों, सोलर मास इजेक्शन और सौर तूफानों का अध्ययन करेंगे जिससे हमें सूर्य की वजह से अंतरिक्ष में पड़ने वाले प्रभावों का पता चल पायेगा।
3. पृथ्वी की जलवायु
सूर्य हमारी पृथ्वी पर मौसम, जीवन के आलावा जलवायु को भी नियंत्रित करता है। ये बड़े समय अंतराल पर पृथ्वी के अंदर जलवायु को प्रभावित करता है। सोलर साईकल जोकि करीब 11 सालों का होता है उस से भी हमारी पृथ्वी के जलवायु पर असर देखने को मिलता है।
आदित्य L-1 मिशन से हम ये जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर वो कौन से घटक हैं जो पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे ज्यादा जिम्मवार हैं। पृथ्वी और सूर्य के बिच के इस सम्बन्ध को समझ कर हम पृथ्वी के जलवायु को अच्छी तरह से समझ पायेंगे और सूर्य पर आने वाले बदलावों को देख कर पृथ्वी पर आने वाले बदलावों का पहले ही पता लगा पायेंगे।
4. कोरोनल मास इजेक्शन का रहस्य
सौर वातावरण में होने वाली गतिविधिओं की वजह से आने वाले सौर तूफ़ान और सोलर मास इजेक्शन से पृथ्वी और पृथ्वी के बहार ऑर्बिट में घूम रहे हमारे सॅटॅलाइट पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। ये पृथ्वी पर मौजूद सारे विधुत उपकरणों पर अपना प्रभाव डालता है और सॅटॅलाइट के विधुत उपकरण भी इस सौर तूफ़ान की वजह से ख़राब हो जाते हैं।
पृथ्वी पर इस वजह से बड़े बड़े पॉवर प्लांट्स ठप पद जाते हैं और कई बड़े शहरों की बिजली भी गुल हो जाती है। इससे हमारी पूरी पृथ्वी पर बिजली की अव्यस्था हो जाती है जिसके बुरे परिणामों को अभी हमने देखा नहीं है।
इसलिए सोलर मॉस इजेक्शन के रहस्यों को समझना हमारे लिए बहुत जरूरी हो जाता है। इससे इसरो पूरी दुनिया को एक ऐसा ख़ास सिस्टम देगा जिससे बाकी सभी देश भी सोलर मास इजेक्शन के वक्त अपने सतेल्लितेस को बचा पायेंगे।
आदित्य L-1 को सूर्य तक पहुँचने में कितना समय लगेगा?
आदित्य L-1 सूर्य को स्टडी जरुर करेगा लेकिन ये सूर्य पर या सूर्य के नजदीक नहीं जायेगा। आदित्य L-1 हमारी पृथ्वी से तक़रीबन 15 लाख किलोमीटर दूर Lagarangian Point L1 पर स्थापित किया जाएगा।
आदित्य L-1 को Lagrangian Point L1 तक पहुँचने में तक़रीबन 109 दिन लग जायेंगे। लांच होने के तुरंत बाद आदित्य L-1 को पृथ्वी के Low Earth Orbit में डाल दिया जायेगा जहाँ से ये धीरे धीरे 109 दिन के अंतराल में अपने ऑर्बिट को बड़ा करते हुए Lagrangian Point L1 तक का सफ़र तय करेगा।
Lagrangian Point L1 पर पहुँचने के बाद आदित्य L-1 को एक Halo Orbit में स्थापित कर दिया जायेगा। ये एक तरह से पार्किंग ऑर्बिट होता है जहाँ पर हमारे द्वारा भेजे गये Spacecraft अक्सर रखे जाते हैं। Halo Orbit ज्यादा Stable होता है और यहाँ पर इंधन की खपत कम होती है।
Aditya L1 Mission FAQ’s
आदित्य L-1 मिशन क्या है?
आदित्य L-1 भारत का पहला सौर मिशन है।
आदित्य L-1 मिशन कब लांच किया जाएगा?
आदित्य L-1 मिशन को 2 सितम्बर 2023 को लांच किया जाएगा।
आदित्य L-1 को कौन लांच कर रहा है?
आदित्य L-1 मिशन को भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO लांच कर रही है।
सूर्य में कोरोना क्या है?
सूर्य के बाहरी भाग यानि सूर्य के उपरी वातावरण को कोरोना कहा जाता है। कोरोना की खासिअत ये है कि इसका तापमान सूर्य के केंद्र और सूर्य की सतह से भी लाखों गुना ज्यादा होता है।
Aditya-L1 manufacturers?
आदित्य L-1 मिशन को ISRO, The Inter-University Centre for Astronomy and Astrophysics और Indian Institute Of Astrophysics नें मिलकर तैयार किया है।
Aditya l1 mission budget
आदित्य L-1 मिशन का बजट करीब 400 करोड़ के लगभग है।
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