Planets

क्या ग्रह कभी मर सकते हैं? Death of Planets

Death Of Planets: क्या ग्रह कभी मर सकते हैं? इस सवाल के बारे में सोचना लाजमी है, क्योंकि हमने अभी तक सिर्फ तारों के मरने के बारे में सुना है और जाना है कि तारे के मरने के बाद कुछ छोटे बौने तारों में बदल जाते हैं तो वहीँ कुछ बड़े ब्लैक होल बन जाते हैं। लेकिन क्या कभी ग्रहों की मृत्यु हो सकती है?

आखिर एक ग्रह की मृत्यु होना किसे कहते हैं? क्या किसी ग्रह पर मौजूद जीवन का समाप्त होना ही उस ग्रह की मृत्यु है? क्या ग्रह के गर्भ में चल रही प्रक्रियाओं का ख़त्म होना या रुक जाना ही उस ग्रह की मृत्यु है? या फिर उस ग्रह का धीरे धीरे टूट कर अन्तरिक्ष में बिखर जाना उसकी मृत्यु है?

इस सवाल का जवाब हमारे लिए जटिल हो सकता है, लेकिन जवाब जानने से पहले हमें खुद ग्रह को समझना होगा कि आखिर ग्रह क्या होते हैं? आखिर इनका जीवन चक्र क्या है? हम जिस ब्रहमांड में रहते हैं वहां कुछ भी स्थाई नहीं है। हर दिशा में कुछ न कुछ घट रहा है, कहीं कोई तारा जन्म ले रहा है तो कहीं जीवन दम तोड़ रहा है।

इस ब्रहमांड के बारे में एक बात सत्य है जो हमने अभी तक जानी है और वो ये है कि इस ब्रहमांड में कोई भी चीज हमेशा के लिए नहीं है। ये चाँद-तारे, गैलेक्सी और खुद ब्रहमांड भी, एक न एक दिन ख़त्म हो जाएगा। ग्रह भी हमारे इसी ब्रहमांड का का हिस्सा हैं, ग्रह भी यहाँ पर जन्म लेते हैं, फिर वो एक ज़िन्दगी जीते हैं और फिर अपने अंत समय आने पर मर जाते हैं।

पर यहाँ ग्रहों के मरने का अर्थ उनके जैविक रूप से मरने से नहीं हैं जिस तरह हम इंसान धरती पर मरते हैं। ग्रह ख़त्म हो जाते हैं, या रहने लायक नहीं रहते या फिर इस ब्रहमांड के किसी बहुत खतरनाक इवेंट का शिकार हो जाते हैं।

ग्रहों का जन्म कैसे होता है? Birth Of Planets

जब कोई नया तारा जन्म लेता है तो उस तारे के इर्द-गिर्द वो गैस जो उस तारे का हिस्सा नहीं बन पाई वो एक डिस्क के रूप में घुमने लग जाती है। इस गैस में कुछ धूल के कण भी शामिल होते हैं जो आने वाले करोड़ों सालों के अंतराल में एक दूसरे से चिपकना शुरू कर देते हैं जिससे किसी ग्रह के शुरूआती रूप का निर्माण होता है।

ग्रह के उस शुरूआती रूप को हम Planetesimals कहते हैं। जब से दूसरे ऐसे ही शुरूआती ग्रहों से टकराते हैं और जुड़ जाते हैं तो ग्रहों का निर्माण होता है। अपने जन्म के बाद देखा जाए तो किसी ग्रह का जीवन बहुत ही स्थिर होता है, उसका काम यानि कि ग्रह सिर्फ अपने तारे के गिर्द एक ऑर्बिट में ही घूमता रहता है अपने जीवन के अंत तक।

ग्रहों का जीवन चक्र | Life Cycle of Planets

गैस और धूल के बादल से तारे के जन्म के बाद जो पदार्थ बच जाता है उस पदार्थ से ग्रहों का जन्म होता है। ये एक लम्बी प्रक्रिया है, जन्म के बाद भी ग्रहों की दशा लगातार बदलती रहती है जिसे हम अक्सर Evolution कहते हैं।

धीरे-धीरे समय के साथ इस ब्रहमांड में ग्रह भी Evolve होते हैं। अपने सम्पूर्ण जीवन काल के दौरान ग्रह अक्सर एक स्थिर ऑर्बिट में ही तारों का चक्कर काटते रहते हैं।

हालांकि इसके बावजूद भी तारों के इर्द-गिर्द घूम रहे ग्रहों के ऑर्बिट में हमेशा स्थिर रहने की कोई गारंटी नहीं रहती है। समय के साथ अरबों सालों के समय के दौरान Celestial Bodies के बीच में Gravitational Interaction की वजह से इन पिंडों के ऑर्बिट में अस्थिरता आ जाती है जिस वजह से कभी-कभी ये सौरमंडल से बाहर निकल जाते हैं और कभी दो पिंड आपस में टकरा जाते हैं।

इसके अलावा ग्रह का जीवनकाल कितना होगा? इस प्रशन का उत्तर निर्भर करता है कि वो ग्रह किस प्रकार के तारे का चक्कर लगा रहा है। इसके अलावा उस तारे का खुद का Evolution किस प्रकार हो रहा है इस बात पर भी ग्रहों का जीवनचक्र निर्धारित होता है।

उदहारण के लिए एक Supergiant Star के ऑर्बिट में जन्मा तारा ज्यादा समय तक स्थिर जीवन नहीं जी पायेगा क्योंकि ऐसे तारे बहुत जल्दी अपना इंधन ख़त्म कर लेते हैं और मर जाते हैं। इनके मरते समय एक भयानक विस्फोट होता है जो आसपास के सभी पिंडों को समाप्त करने की क्षमता रखता है। ये ग्रहों के वायुमंडल को ख़त्म कर देते हैं, ये तारे अपने लाल दानव के फेज में, ग्रहों को भी अपने आगोश में ले लेते हैं और या फिर अपने ग्रहों के चीथड़े उड़ा देते हैं।

इसके अलावा अगर कोई ग्रह किसी छोटे तारे के गिर्द जन्म लेता है जैसे कि Proxima B, तो वो ग्रह बहुत ज्यादा समय तक अपना स्थिर जीवन जी पायेगा। छोटे ग्रह अपना इंधन कम खर्च करते हैं इसलिए ऐसे ग्रहों का जीवनकाल बहुत ज्यादा होता है परिणामस्वरूप ग्रहों का जीवनकाल बढ़ जाता है।

इस तरह अपने तारे के जीवन चक्र के समाप्त होने के बाद ग्रह का जीवन भी समाप्त हो जाता है। लेकिन ग्रह का जीवन सिर्फ इन्हीं कारणों पर निर्भर नहीं करता है, ऐसे बहुत से कारण हैं जिनकी वजह से ग्रहों का जीवन अक्सर ख़त्म हो जाता है जोकि निम्नलिखित हैं।

ग्रहों के जीवन को जोखिम

ग्रह अपना जीवन बस एक तारे का चक्कर लगाते हुए ही गुजारते हैं लेकिन इसके बावजूद भी किसी भी ग्रह को और उसके जीवन को 2 तरह की प्रक्रियाएँ ख़त्म कर सकती हैं-

आंतरिक प्रक्रियाएँ

हर ग्रह पर कुछ न कुछ प्रक्रियाएँ चलती रहती हैं जो उस ग्रह के जिंदा होने का अहसास कराती हैं, जैसे कि किसी ग्रह पर चलने वाली भौगोलिक प्रक्रियाएँ। ग्रह की कोर में चलने वाली प्रक्रियाएँ भी ग्रह के भविष्य का अनुमान लगा सकती हैं।

ग्रह की भौगोलिक प्रक्रियाएँजैसे कि ग्रह की अंदरूनी कोर में होने वाले ज्वालामुखी विस्फोट की वजह से किसी भी ग्रह की सतह पर भी बदलाव देखने को मिलता है। इसके अलावा ग्रह की Tectonic Plates में होने वाली हलचल से भी एक बड़े समय अंतराल में ग्रह के उपरी भाग पर बहुत ज्यादा बदलाव आ जाते हैं।

जिस ग्रह पर ये प्रक्रियाएँ नहीं होती हैं उन्हें हम अक्सर मरा हुआ ग्रह या फिर Dead Planet कह कर बुलाते हैं। हालांकि ये आन्तरिक प्रक्रियाएँ इतनी शक्तिशाली नहीं हैं कि किसी ग्रह को चकनाचूर कर दें। यहाँ पर Dead का मतलब हमारी पुरानी सोच से नहीं है।

Dead Planet का मतलब है कि ग्रह इंसानी जीवन के रहने लायक नहीं है या फिर जिस जीवन को हम जानते हैं वो ग्रह की परिस्थितिओं को सहन नहीं कर पायेगा। और कुछ इस तरह से किसी भी ग्रह को, उसके अंदर चलने वाली प्रक्रियाएँ ही मार देती हैं।

बाहरी प्रक्रियाएँ

अन्तरिक्ष में कोई भी ग्रह कभी भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होता है, बल्कि स्पेस में तो जोखिम कहीं ज्यादा बढ़ जाता है। अन्तरिक्ष में घूम रहे एस्टेरोइड, कॉमेट और इनके अलावा भी बहुत से ऐसे खगोलीय पिंड जो कभी भी ग्रहों से टकरा सकते हैं और ग्रह को भारी नुक्सान भी पहुंचा सकते हैं।

एक बहुत बड़ा टकराव तो हमारी पूरी पृथ्वी तक को तबाह कर सकता है, ठीक बिलकुल ऐसे ही बाकी ग्रह भी ऐसी संभावनाओं से हमेशा घिरे रहते हैं।

सूर्य जोकि हर ग्रह को जीवन देता है, वही सूर्य खतरनाक रेडिएशन और सौर तूफ़ान छोड़ता है जो ग्रहों पर परिस्थितियां नरक जैसी बना देता है। इससे किसी भी ग्रह का वातावरण अन्तरिक्ष में उड़ जाता है जिससे ग्रह अक्सर धीमी मौत मारे जाते हैं।

तारे के ख़त्म होने पर क्या होता है? Death Of Planets

तारे का मरना किसी भी सौरमंडल या तारामंडल के जीवन का वो ख़ास समय होता है जहाँ से पूरे के पूरे सौरमंडल के ख़त्म होने की दास्ताँ शुरू हो जाती है। जब एक तारा मरता है जैसे कि हमारा सूर्य, तो ये एक लाल दानव के रूप में अपने आकार को बहुत ज्यादा बढ़ा लेता है।

सूर्य के आकार के बढ़ने के कारण ये शुरूआती लगभग सभी ग्रहों को निगल जाएगा और हो सकता है कि हमारी पृथ्वी भी इसकी चपेट में आ जायेगी। मंगल और इसके बाद आने वाले ग्रह शायद बच जाए लेकिन तारे के मरने के बाद तापमान में अचानक आने वाले बदलाव और ऑर्बिट में आने वाले बदलाव पूरे सौरमंडल को अस्थिर कर देंगे।

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अस्थिरता की वजह से सौरमंडल के किनारे पर बसे ग्रह सौरमंडल की पकड़ से छूट कर बाहर निकल जायेंगे। कुछ ग्रह तारे से जाकर टकरा जायेंगे और कुछ ग्रह आपस में ही टकरा कर नष्ट हो जायेंगे।

हमारे सूर्य से बड़े तारे के मरने पर होने वाली तबाही इससे भी ज्यादा खतरनाक होती है। जब हमारे सूर्य से भी बड़ा तारा मरता है तो उसका अंत बहुत ही ज्यादा हिंसक होता है। उन तारों का अंत एक सुपरनोवा धमाके के साथ होता है जो उस तारे के आसपास घूम रहे ग्रहों को एक ही झटके में ख़त्म कर देता है।

सुपरनोवा से ख़त्म होने वाले ग्रहों का कुछ भी नहीं बचता, सिर्फ धूल और पदार्थ के कुछ छोटे-छोटे टुकड़े बचते हैं। तारे यदि न्यूट्रॉन स्टार में ढह जाते हैं या फिर किसी बड़े ब्लैक होल में बदल जाते हैं तो आसपास घूम रहे ग्रहों का अंत उन तारों या ब्लैक होल के ताकतवर गुरुत्व से होता है। गुरुत्वाकर्षण बल ग्रहों को टुकड़ों में तोड़ देता है।

FAQs About Death Of Planets

क्या सभी ग्रह मरते हैं?

हाँ, इस ब्रहमांड में जन्मे सभी ग्रह अंत में किसी न किसी तरह से मरते हैं जैसे कि तारों के द्वारा निगले जाने पर, वातावरण के ख़त्म होने पर और किसी भयानक टकराव होने पर।

किसी ग्रह को ख़त्म होने में कितना समय लगता है?

ग्रहों का जीवन काफी लम्बा होता है लेकिन इन्हें ख़त्म होने में लगने वाला समय कई चीजों पर निर्भर करता है जैसे कि वातावरण लीक होने के कारण ग्रह अरबों सालों में मरते हैं लेकिन वहीँ किसी दूसरे पिंड से टकराने पर ग्रह कुछ ही क्षण में ख़त्म हो जाता है।

ग्रहों के जीवन का आखिरी समय कौन सा होता है?

सौरमंडल से बाहर निकाले जाना, तारे द्वारा ग्रह का निगले जाना, गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा ग्रह का टूट कर बिखर जाना आदि ग्रहों के जीवन का आखिरी समय होता है।

क्या ग्रह मरने के बाद दोबारा बन जाते हैं?

ग्रहों के मरने के बाद वो दोबारा जीवित नहीं होते लेकिन उनके मरने के बाद जो पदार्थ बचता है उससे नये ग्रहों का निर्माण होता है।

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