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Lunar Dust अन्तरिक्ष यात्रिओं के लिए खतरनाक क्यों है?

ब्रहमांड और अन्तरिक्ष के रहस्यों को सुलझाना मानव सभ्यता की शुरुआत से ही हमारे लिए एक चुनौती रहा है। शुरुआत में हमारे सौरमंडल की बनावट और इस ब्रहमांड की बनावट के बारे में मान्यता थी कि हमारी पृथ्वी केंद्र में है और बाकी सभी ग्रह और तारे इसके इर्द गिर्द चक्कर लगा रहे हैं।

रात के आसमान में चमकने वाले तारों के बारे में मान्यता थी कि आसमान में सभी तारे जड़े हुए हैं। सभी तारे एक ही जगह पर फिक्स हैं और चमक रहे हैं।

इन सभी मान्यताओं के खिलाफ जाना उस समय लोगों ज़हन में भी नहीं था, लेकिन जो विज्ञान और इस ब्रहमांड को अच्छे से समझना चाहते थे, उन्हें पूरी दुनियां से विपरीत जाकर ये समझाना था कि आज तक जो भी आपने सुना या जाना है वो सब एक मिथ्या है और सच्चाई ये है कि पृथ्वी ब्रहमांड का केंद्र नहीं है।

इतना सब करने के लिए बहुत साहस और जिगर होना जरूरी है, और इतिहास गवाह है कि विज्ञान को अन्तरिक्ष विज्ञान को वैज्ञानिकों के जूनून नें ही यहाँ तक पहुंचाया है। आज भी अन्तरिक्ष विज्ञान के संधर्भ में ये बात सच है।

यहाँ धरती पर Lift-off से लेकर स्पेस में या चाँद पर Landing तक, हमारे अन्तरिक्ष यात्री खतरनाक परिस्थितियों से गुज़रते हैं। चाँद पर जाने वाले हमारे सभी अन्तरिक्ष यात्रियों को अकेलेपन और डर आदि समस्याओं से गुज़ारना पड़ा था लेकिन चाँद पर उन अन्तरिक्ष यात्रियों का सबसे बड़ा दुश्मन उनका इंतज़ार कर रहा था।

ये दुश्मन उनका डर या हमारी दुनियां से दूर, अकेलापन नहीं था बल्कि वहाँ चाँद की सतह पर मौजूद चाँद की धूल थी। जी हाँ, Lunar Dust हमारे अन्तरिक्ष यात्रिओं के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक साबित हुई।

जब धरती पर चाँद की मिट्टी के सैंपल लाये गये तो अध्ययनों से पता चला कि आने वाले मिशन में चाँद पर धुल मिट्टी हमारे लिए सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है।

तो चलिए आज हम जानते हैं कि अगर हम चाँद पर जाते हैं तो चाँद की धूल हमारे लिए कैसे बहुत ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है। इसके अलावा चाँद पर हमारे लिए क्या-क्या खतरे हैं?

Lunar Dust क्या है?

Lunar Dust हमारे चाँद पर पाए जाने वाले Lunar Regolith का ही एक भाग है जिसमें बहुत ही शुक्ष्म कण पाए जाते हैं। लूनर डस्ट में पाए जाने वाले पार्टिकल्स का साइज़ 20 μm से भी छोटा होता है। अब यहाँ पर Lunar Regolith एक ऐसा शब्द है जो शायद आपको समझ न आया हो इसलिए लूनर डस्ट को समझने से पहले आपको Lunar Regolith को समझना होगा।

Lunar Regolith क्या होती है?

हम ये जानते हैं कि चाँद हमारी पृथ्वी का एक चट्टानी प्राकृतिक उपग्रह है, यानि की चाँद ठोस और कठोर चट्टानों से बना हुआ है। लेकिन हमने देखा है की चाँद की सतह उतनी ठोस या कठोर नहीं है, बल्कि चाँद की सतह तो बहुत ही भुरभुरी मिट्टी से बनी हुई है और इसके अलावा चाँद की सतह पर हमें कुछ पत्थर और छोटी चट्टानें भी देखने को मिल जाती है।

चाँद की कठोर सतह के ऊपर किसी कम्बल की तरह जो भी असंगठित और ढीले पदार्थ पाए जाते हैं जो चाँद की ठोस सतह को ढके हुए हैं उसी को हम रेगोलिथ कहते हैं। रेगोलिथ शब्द सिर्फ चाँद के लिए नहीं बल्कि हर चट्टानी ग्रह के लिए उपयोग किया जाता है।

रेगोलिथ में अक्सर धूल, मिट्टी, टूटी हुई चट्टानें और अन्य चीजें शामिल होती हैं जो किसी भी ग्रह या चाँद की कठोर सतह को ढक कर रखती हैं।

Lunar Dust and Lunar Regolith का सम्बन्ध

अब आप Lunar Regolith के बारे में जान चुके हैं और Lunar Dust यानि कि चाँद पर पाई जाने वाली धूल भी इसी Regolith का ही हिस्सा है। जब Lunar Regolith के Particles का साइज़ 20 μm से भी छोटा हो जाता है तो उसे हम Lunar Dust के रूप में जानते हैं।

यानि लूनर डस्ट चाँद पर पायी जाने वाली लूनर रेगोलिथ का ही हिस्सा है।

Lunar Dust कैसे बनती है?

अगर हम अपनी पृथ्वी पर धूल या छोटे Dust Particles को देखें तो वो पृथ्वी पर होने वाली क्रियाओं, जैसे कि हवाओं और पानी के बहाव के साथ चलने वाले कणों के घिसने से छोटे कणों का निर्माण होता है। लेकिन हमारी पृथ्वी पर पाए जाने वाले कण चाँद पर पाए जाने वाले कणों के मुकाबले में बहुत ज्यादा बड़े और गोलाकार होते हैं।

चाँद पर पाए जाने वाले कणों की अगर बात की जाए तो चाँद पर मौजूद मिट्टी से जब Solar Winds और Cosmic Rays टकराती हैं जिनसे आने वाले high energy particles इसकी सतह पर मौजूद बारीक कणों से टकराते हैं और चाँद की मिट्टी और भी ज्यादा महीन हो जाती है।

इसी वजह से वहां की मिट्टी अलग तरीके से व्यवहार करती है। इसके अलावा चाँद पर चल रही रासायनिक क्रियाओं की वजह से मिट्टी के कण टूट कर छोटे होते जाते हैं।

चाँद पर कोई भी वातावरण नहीं है जिसकी वजह से हमें चाँद पर बहुत ज्यादा एस्टेरोइड इम्पैक्ट देखने को मिलते हैं। चाँद पर इन इम्पैक्ट इवेंट्स की वजह से चाँद की सतह पर मौजूद मिट्टी के कणों का साइज़ समय के साथ टूट-टूट कर छोटा होता गया है।

Lunar Dust की खासीयत

लूनर डस्ट के पार्टिकल बहुत ही ज्यादा महीन होते हैं। अगर आप लूनर डस्ट को इंसानी बाल से तुलना करें तो Lunar Dust Particle इंसानी बालों के मुकाबले 50 गुना से भी ज्यादा छोटे होते है।

नासा के अनुसार लूनर डस्ट पार्टिकल इतने महीन होते हैं की वो किसी Abrasive particle की तरह होते हैं जो कहीं भी जा सकते हैं इसके अलावा Lunar Dust Particle बहुत ज्यादा तीखे यानि कि Sharp होते हैं जो किसी टूटे हुए शीशे के छोटे कणों की तरह होते हैं जो Lunar Dust को बहुत ही खतरनाक बना देता है।

इसके अलावा लूनर डस्ट बहुत ही ज्यादा महीन होने की वजह से किसी Powder की तरह होती है जो किसी भी सतह पर बहुत ही ज्यादा चिपकने लग जाती है, जिससे हमारे अन्तरिक्ष अपोलो मिशन के समय भी जूझते रहे हैं। अपोलो मिशन के समय जब अन्तरिक्ष यात्री चाँद पर उतरे और फिर वो जब अपने अंतरिक्षयान में वापिस आये तो उन्हें हर तरफ Lunar Dust ही दिखाई दे रही थी।

वो उनके जूतों पर हर जगह चिपकी हुई थी और उनके स्पेससूट पर हर जगह चाँद की धूल जम गई थी। इस धूल नें स्पेससूट की बियरिंग्स में जम कर उनको ख़राब होने की परिस्थिति तक पहुंचा दिया था। ये धूल अन्तरिक्षयान के हर भाग में घुस चुकी थी।

इस तरह से लूनर डस्ट का हर जगह चिपकने वाला व्यवहार हमारे अन्तरिक्षयात्रियों और हमारे चाँद पर किये जाने वाले मिशन के लिए बहुत ही ज्यादा खतरनाक है।

चाँद की सतह पर सोलर स्टॉर्म की वजह से बहुत से charged particles टकराते रहते हैं जिसकी वजह से चाँद की सतह पर मौजूद धूल के कण भी charge हो जाते हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं कि एक जैसे charge एक-दुसरे को दूर धकलते हैं।

लूनर डस्ट के साथ भी यही होता है, चाँद की सतह जब सौर कणों की वजह से charge हो जाती है और लूनर डस्ट पार्टिकल भी charge हो जाते हैं, जिसकी वजह से इन दोनों में Repulsion होता है और लूनर डस्ट पार्टिकल सतह से ऊपर तैरने लग जाते हैं।

इस परिस्थिति में चाँद की कम ग्रेविटी और भी ज्यादा योगदान देती है, कम गुरुत्वाकर्षण की वजह से चाँद लूनर डस्ट पार्टिकल बहुत ज्यादा देर तक सतह के ऊपर तैरते रहते हैं। जिसकी वजह से ये अन्तरिक्ष यात्रिओं के सूट में हर जगह घुस जाते हैं, इसके अलावा ये हमारे बहुत ऊँचे अन्तरिक्षयान पर भी हर जगह अपनी पहुँच बना लेते हैं।

अधिक जानकारी के लिए पढ़ें: क्या चाँद अन्दर से खोखला है?

लूनर डस्ट का हमारे अन्तरिक्ष यात्रिओं पर प्रभाव

ये लूनर डस्ट हमारे अन्तरिक्ष यात्रिओं की सेहत के लिए बहुत ही जानलेवा और खतरनाक साबित हो सकती है। अपोलो 11 से लेकर अपोलो 17 तक कुल 12 अन्तरिक्ष यात्री चाँद आर गये थे। चाँद पर उतरना वाले और चलने वाले सभी अन्तरिक्ष यात्रिओं में वहां पर मौजूद लूनर डस्ट की वजह से छींकें लगने से लेकर नाक बंद होने तक के लक्षण देखने को मिले थे और कभी-कभी तो ये लक्षण महीनों तक अन्तरिक्ष यात्रिओं में बने रहे।

जब अपोलो मिशन के दौरान अन्तरिक्ष यात्री अपने अन्तरिक्षयान में वापिस आते तो उन्हें अपने स्पेससूट से जले हुए गनपाउडर जैसी बदबू आती थी और ये बदबू हर जगह से आती हुई प्रतीत होती। पहले तो ये निष्कर्ष निकाला गया कि Lunar Dust से गनपाउडर जैसी बदबू आ रही है लेकिन जो सैंपल चाँद की सतह से यहाँ धरती पर लाये गये थे उनमें ऐसी कोई भी बदबू देखने को नहीं मिली थी।

Lunar dust is harmful
Lunar dust is harmful

लूनर डस्ट चाँद पर सतह से बहुत ऊपर तक तैरती रहती है, ये इतनी महीन होती है कि ये स्पेससूट के जॉइंट से होते हुए अंदर तक प्रवेश कर सकती है। अगर किसी तरह से ये हमारे अन्तरिक्ष यात्रिओं के सांस लेने की नली तक पहुँच जाती है तो ये उनके फेफड़ों में जाकर जम जायेगी और फिर इसे किसी भी तरह से निकालना मुश्किल हो जाएगा।

लूनर डस्ट किसी कांच के टुकड़े की तरह नुकीली होती है जिसकी वजह से अंदरूनी घाव भी हो सकते हैं। इसके परिणाम बहुत जहरीले भी हो सकते हैं और अन्तरिक्ष यात्रिओं को सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है।

लूनर डस्ट के प्रभाव सिर्फ हमारे फेफड़ों के खराब होने तक ही सीमित नहीं हैं, अगर हम कभी चाँद पर कॉलोनी बना कर रहते हैं तो ये लम्बे समय के दौरान भी हमारे स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है।

ये हमारे रहने के स्थान में घुस सकती है जिससे ये सीधा इंसानी शारीर में चली जायेगी। आप सोच कर देखिये कि अगर ये लूनर डस्ट हमारी आखों में चली गई तो हमारी आखों का क्या हाल होगा? हमारी आखें इन नुकीले कणों की वजह से खराब हो सकती हैं, हमारी आखों से खून निकल सकता हैं, हमारी आखों के शीशे पर बुरी तरह से डैमेज हो सकता है और हम हमेशा के लिए अपनी आखों को खो सकते हैं।

हमारे अन्तरिक्ष यात्रिओं के अलावा लूनर डस्ट हमारे चाँद पर भेजे गये संसाधनों पर भी बुरा असर डालती है।

लूनर डस्ट की वजह से Equipment Damage होना

Lunar Dust सिर्फ हमारी सेहत के लिए ही खतरनाक नहीं है बल्कि ये हमारे संसाधनों के लिए भी हानिकारक है। लूनर डस्ट में मौजूद मौजूद Abresive Particles हमारी मशीनरी के mooving parts में फंस कर उन parts grind कर सकते हैं। ये चीज विशेषकर हमारे स्पेससूट के लिए एक बड़ी प्रॉब्लम बन सकती है।

जहाँ हमारे अन्तरिक्ष यात्री चाँद के खतरनाक वातावरण से जूझ रहे होंगे वहीँ पर ये लूनर डस्ट हमारे अन्तरिक्ष यात्रिओं के स्पेस सूट में फंस कर उसकी उपरी परतों को ख़राब कर सकती है। जिससे हमारे अन्तरिक्ष यात्री रेडिएशन के संपर्क में आ सकते हैं और चाँद पर बहुत ज्यादा तापमान की चपेट में भी हमारे अन्तरिक्ष यात्री आ सकते हैं।

चाँद पर हम बहुत तरह के रोवर और लैंडर भेजते हैं जो एक ही जगह पर रह कर चाँद का अध्ययन करते हैं या फिर रोवर जोकि चाँद पर चल कर अलग-अलग जगहों को एक्स्प्लोर करते हैं। हमारे इन मिशन के लिए भी लूनर डस्ट बहुत ही ज्यादा हानिकारक साबित होती है।

चाँद पर जाकर हमारे रोवर और लैंडर अपनी उर्जा के लिए सूर्य की रौशनी पर ही निर्भर करते हैं लेकिन लूनर डस्ट जोकि चाँद की सतह के ऊपर तैर रही होती है वो अपने चिपकने के नेचर की वजह से बहुत ही जल्दी इन स्पसक्रेफ्ट के सोलर पैनल पर चिपक जाती है।

कुछ इस तरह से लूनर डस्ट हमारे आने वाले मिशन के लिए बहुत ही ज्यादा समस्या बन सकती है। इसके अलावा हमारे आज के मॉडर्न कंप्यूटर जोकि बहुत ही ज्यादा एडवांस हो चुके हैं लेकिन लूनर डस्ट की वजह से इनमें भी बहुत सी समस्या आ सकती है। Charged Lunar Dust Particles हमारी इलेक्ट्रॉनिक्स को पूरी तरह से तहस नहस कर सकती है और इसके अलावा ये हमारे स्पसक्रेफ्ट के दिमाग यानी कि कंप्यूटर में जाकर वहां पर खराबी कर सकती है।

लूनर डस्ट हमारे द्वारा भेजे गये सिस्टम में जाकर glitch पैदा कर सकती है जिस से हमें गलत रिजल्ट मिल सकते हैं और हमारा पूरा मिशन इस वजह से फेल हो सकता है।

लैंडर और रोवर के Moving Parts जैसे कि मोटर और पहियों में जब ये धूल जम जायेगी तो इनके चलने में दिक्कत हो सकती है। जिससे मिशन के दौरान हमारे अन्तरिक्ष यात्री जिन टूल्स और सिस्टम पर निर्भर होंगे उनके फैल होने की सम्भावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।

मिशन की सफलता पर Lunar Dust का प्रभाव?

लूनर डस्ट हर जगह पर बहुत ही आसानी से चिपक जाती है जिस वजह से स्पसक्रेफ्ट में सफाई रख पाना बहुत ही ज्यादा मुश्किल हो जाता है। सफाई ना होने की वजह से ये धूल स्पसक्रेफ्ट के जरूरी पुर्जों में फंस कर मिशन कंट्रोल के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है इसके साथ ही ये एक बड़े अंतराल के मिशन के दौरान अन्तरिक्ष यात्रिओं की सेहत पर भी बहुत बुरा प्रभाव डालती है।

मिशन के दौरान लूनर डस्ट को अन्तरिक्ष यात्रिओं के रहने के स्थान और उनके काम करने के स्थान से दूर रख पाना बहुत ही ज्यादा मुश्किल हो जाता है। इन्हीं वजहों से लूनर डस्ट की सफाई करना बहुत जरूरी है नहीं तो इसके प्रभाव से पूरा का पूरा मिशन ही फेल हो सकता है।

मिशन के दौरान अन्तरिक्ष यात्री बहुत से टूल्स और Equipment का इस्तेमाल करते हैं लेकिन अगर लूनर डस्ट की वजह से वो टूल खराब हो जाते हैं तो पूरा मिशन ही दांव पर लग जाता है।

Lunar Dust से कैसे निपटा जाए?

सबसे पहले हम लूनर डस्ट से निपटने के लिए कुछ ऐसे मटेरियल की खोज कर सकते हैं जहाँ पर Lunar Dust Particles आसानी से चिपक ना पायें। साथ ही वो मटेरियल इतना कठोर भी होना चाहिए कि वो लूनर डस्ट से होने वाले Grinding Effect से ज्यादा प्रभावित ना हो।

Spacesuits के लिए हम नए मटेरियल और नए तरीके इजाद कर सकते हैं। कुछ ऐसे कपड़ों का इस्तेमाल कर सकते हैं जो इन कणों को अपनी और आकर्षित ना करे।

हम ऐसे मटेरियल का इस्तेमाल अपनी इलेक्ट्रॉनिक में कर सकते हैं कि जो ज्यादा सेंसिटिव न हो और हमारी इलेक्ट्रॉनिक इन कणों की वजह से खराब न हो। इस दिशा में हमें अभी और ज्यादा एडवांस होने की जरूरत है।

जहाँ तक सवाल है इन धूल कणों का तो हम सफाई करके इनसे छुटकारा पा सकते हैं। इसके लिए हमें जरूरत है Strict Cleaning Protocols को बनाने की और कुछ ऐसे Equipment को बनाने की जो इस लूनर डस्ट को पूरी तरह से साफ़ कर सके।

आखिर हमें अपने लम्बे समय के मिशन करने से पहले इस पर एक बड़ी रिसर्च करने की जरूरत है जिससे हम हर उन संभावनाओं को तलाश कर पायें जिनसे हमारा सामना हो सकता है। रिसर्च में हमें पता चल सकता है कि लूनर डस्ट कैसे किसी इंसानी शारीर के साथ Interact करती है जिससे हम कुछ निष्कर्षों पर पहुँच पायेंगे।

निष्कर्ष

Lunar Dust वाकई में हमारे स्पेस मिशन के लिए बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है, लेकिन वैज्ञानिक अभी भी इस चीज को समझने का प्रयास कर रहे हैं। लूनर डस्ट हमारे आने वाले मिशन Artemis Program के दौरान हमें परेशान कर सकती है। ये एक ऐसी चीज है जिस से हमें जूझना ही पड़ेगा और इसके लिए हमें पूरी तरह से तैयार रहना होगा।

Lunar Dust से बचाव किया जा सकता है जैसा कि हमने इस लेख में जाना लेकिन ये सब हम तभी कर सकते हैं जब हम इसके बारे में बहुत अच्छी तरह से जानकारी प्राप्त कर लेंगे।

देखा जाए तो लूनर डस्ट का हम इंसानों के स्वास्थ्य, टूल्स, स्पेसशिप, स्पेससूट और हमारे मिशन की सफलता पर पड़ता है और इसीलिए लूनर डस्ट के बारे में जानना हमारे लिए बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है।

Lunar Dust क्या है?

Lunar Dust चाँद की सतह पर पायी जाने वाली मिट्टी के महीन कणों को कहा जाता है जिनका अकार 20 μm से भी छोटा होता है।

Lunar Dust के क्या नुक्सान हैं?

Lunar Dust बहुत ही ज्यादा महीन होती है जिसकी वजह से ये स्पेससूट में हर जगह घुस जाती है। ये हर जगह चिपक जाती है और मशीनरी के चलने वाले पुर्जों में फसकर उन्हें खराब कर देती है। साथ ही इसका अन्तरिक्ष यात्रिओं की सेहत पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है।

Lunar Dust कैसे बनती है?

Lunar Dust चाँद की सतह पर होने वाली Space Weathering की वजह से बनती है जिसमें चाँद पर सौर तूफ़ान, Cosmic Rays और एस्टेरोइड इम्पैक्ट आदि शामिल हैं।

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