DEATH OF A STAR: हमारे Universe में 200 sextillion Stars मौजूद है, आसान शब्दों में इस कायनात में मौजूद तारों की संख्या इतनी है! हमारे आसमान से हमें कितने तारे दिखाई देते हैं? ये महत्त्व नहीं रखता लेकिन ये नंबर इतना बड़ा है कि इसमें लगी जीरो को देख कर आपका सर चकरा जाए। यहाँ पर सोचने वाली बात ये है कि इतने सारे तारे हमारे ब्रहमांड की सरहदों के अंदर ही क़ैद हैं।
Well ये Stars ही है जिनकी बदौलत आज ये अंतरिक्ष रौशन है, ये ना जले तो पूरा का पूरा ब्रह्मण्ड अँधेरे की चादर तले ढक जाएगा। एक झटके में पूरी कायनात अँधेरे की ज़द्द में आकर अंधी हो जाएगी।
बेशक जिस चीज़ की शुरुआत हुई है उसका अंत भी निश्चित है, इस संसार में कोई भी ऎसी चीज़ नहीं है जो नष्ट ना हो, वास्तव में किसी भी चीज़ की रचना के बाद उसका अंत होना भी तय होता है। ठीक इस प्रकार इन तारों के जन्म के बाद इनका मरना भी बिल्कुल निश्चित होता है, मगर इन तारों के मरने की ये घटना भी कोई मामूली खगोलीय घटना नहीं होती।
ये एक बेहद ख़ास और दुलर्भ पल होता है जब एक तारा अपने अंत के मोहाने पर खड़ा होता है, तब वो एक हुंकार भरके पूरी कायनात को अपने खात्मे की गवाही देता है। इस घटना में वाकई आश्चर्यजनक तौर पर Energy यानि शक्ति का सृजन होता है जिन्हें हम अपने आसमानों में Supernova के रूप में देखते है।
यहाँ पर हम ब्रहमांड के एक तारे के ख़त्म होने की प्रक्रिया के बारे में ही जानेंगे। इससे पहले की हम सितारों की अंत की दास्ताँ की ओर बढ़ें आइये एक नज़र ड़ालते है भला एक तारा अपनी ज़िन्दगी जीता कैसा है?
तारे का जीवन चक्र
दरअसल एक तारा अपने आपको जलाए रखने के लिए मुख्य रूप Nuclear Chain reactions पर निर्भर होता है। मुख्य रूप से तारों की संरचना Hydrogen और Helium से होती है। इन तारों की Core में तापमान और दबाव इतना अधिक होता है कि यहां Nuclear Fusion Reactions होतें है। इन Reactions के चलते Hydrogen nucleus का Helium में Conversion होता है जिससे ढेर सारी Heat & Light Energy Produce होती है, और वास्तव में यहीं किसी भी तारें के काम करने के पीछे की Fundamental Process होती है।
एक तारे के भीतर से बाहर की ओर जाने वाले Radiation को Oppose करने के लिए हर वक्त Force of Gravity Act करता है जो Radiation Emission की ठीक विपरीत दिशा यानी बाहर से अंदर की ओर लगता है। इन दो Opposite forces के Action से एक Star Stably अपनी Existence को Maintained रखता है। मगर जैस- जैसे Stars में मौजूद Hydrogen Helium में Convert होती जाती है, तो Radiation के कारण लगने वाला Oppositional Force घटने लगता है।
Star के Mass के कारण लगने वाला Gravitational Force पहले से कई ज़्यादा मज़बूत होने लगता है ऐसे में तारे के केंद्र में अंदरूनी दबाव बढ़ने लगता है।
nuclear fusion के चलते Hydrogen Atoms का Helium में Conversion होता जाता है और Further यही Helium Carbon में Convert होकर एक तारे को उसके अंत की ओर धकेलती है। अगर किसी सितारे की Core बेहद बड़ी और भारी होती है, तो वो इस प्रक्रिया में Carbon से Heavy elements जैसे – Nitrogen, Oxygen, Fluorine, Neon आदि को भी Produce कर सकती है।
तारा सुपरनोवा कैसे बनता है? DEATH OF A STAR
जब एक तारें में Hydrogen खत्म हो जाती है और उसका अन्य Elements में Conversion पूरा हो जाता है, तो ऐसे में उसके Size में एक बड़ा बदलाव आता है। इसके बाद धीरे-धीरे तारे का आकार बढ़ने लगता है और देखते ही देखते जल्द ही तारा अपने मूल आकार से 100, 200, 300 और यहाँ तक की 400 फीसद तक बड़े हो जाते है।
हमारे सूरज जैसे किसी भी अन्य तारों के साथ उनकी मौत से ठीक पहले ऐसा ही कुछ होगा। तारों की इस अवस्था में वो एक Red Giant का विकराल रूप ले लेते है। ऐसा होने पर Radiation का Oppositional Force तारे के Mass के कारण लग रहें Gravitational Force की Respect में Zero हो जाता है, जिस कारण इस तारे की Core Collapse हो जाती है यानि कि अपने ही भार की वजह से अपने ही अंदर ढह जाती है। जिस कारण लगभग Speed of light की गति से इसके चारों ओर मौजूद सारा Matter तारे के Center की तरफ Move करता है।
Finally इतना कुछ होने के बाद एक भीषण धमाका होता है, एक Supernova Explosion अंजाम होता है। ये धमाका इतना भीषण होता है की इससे निकलने वाली Shockwaves कई Light years तक महसूस की जा सकती है। आमतौर एक तारे की Death के बाद होने वाला Supernova Explosion अगले कई हफतों तक अन्य ग्रहों से देखे जाने पर साफ साफ नज़र आता है।
ये रौशनी के किसी उजले गुब्बार जैसी होती है जिसको कई दिनों या फिर हफ्तों तक आसमान में देखा जा सकता है। अतीत में हम इंसानों ने ऐसे कई Explosion नंगी आँखों से पृथ्वी के आसमान में देखे हैं। हमारा सूरज भी ब्रहमांड के दूसरे तारों से अलग नहीं है, आने वाले कुछ अरब सालों में हमारे सूरज के साथ भी ऐसा ही कुछ होगा।
लगातार जल रहे सूरज से निरंतर Hydrogen Gas का Release हो रही है, ऐसे में जल्द ही ये एक Red Giant Star बनके बुध, शुक्र और यहाँ तक की पृथ्वी जितने बड़े इलाकें में फ़ैल जाएगा जिससे हमारी पृथ्वी इसकी ज़द में आकर ख़त्म हो जायेगी और इंसानी जीवन की कहाँ भी पृथ्वी पर यहीं तक समाप्त हो जाएगी। हमारे सूरज को अभी उस अवस्था में पहुँचने में बहुत समय लगने वाला है, करीब 5 अरब साल। वैज्ञानिकों का मन्ना है कि इतने समय में इंसानी सभ्यता बहुत तरक्की कर लेगी और पृथ्वी को छोड़ कर किसी सुरक्षित ठिकाने तक पहुँच जायेगी।
Red Giant बन्ने के बाद धीरे-धीरे जब इसमें Heavy Elements की Core बनने लगेंगी और इसका इंधन पूरी तरह से खत्म हो जाएगा, उस वक़्त सूरज में एक बहुत ही भयानक Explosion होगा जिसके परिणामस्वरूप यहाँ हमारे सौरमंडल में भी एक Supernova जन्म लेगा।
तारे के मरने के बाद
ख़ैर इस धमाके के बाद पीछे बचती है Collapse हो चुके तारे की वो Core जो अब दो स्वरूप धारण कर सकती है।
पहला : या तो वो पुराने तारे के Protons और Electrons एक दुसरे में नीचुडकर Neutrons को जन्म देंगे जिससे की एक नया Neutron Star जन्म लेगा। एक Neutron Star बेहद छोटा सितारा होता है इसका व्यास मुश्किल से 20 किलोमीटर जितने इलाकें में फैला होता है। ये इतना छोटा होता है किआप इसकी तुलना दो शहरों के बिच की दूरी से भी कर सकते है। Nullified Charge Particles यानि Neutrons से फॉर्म हुआ ये तारा बेहद गर्म होता है, इसका औसत तापमान ही 10 लाख Kelvins के बराबर होता है जबकि हमारा सूरज अपने चर्म पर भी 5800 Kelvin से ज़्यादा गर्म नहीं होता है।
दूसरा : Neutron Star के आलवा भी इन मरते हुए सितारों का एक और हश्र हो सकता है और वो है “Gigantic BLACKHOLES की formation” अगर किसी भी तारे का द्रव्यमान हमारे सूरज से 3 गुना ज्यादा होता है तो चंदार्शेखर लिमिट के अनुसार वो तारा ब्लैक होल बन सकता है। जिसका मतलब ये है कि तेज़ी से Collapse करती हुई Star की Core अगर हमारे Sun के Comparison में तीन गुना ज़्यादा Massive और Pressurized हुई तो Gravity का Force उसे एक Blackhole बनाने की कोशिश में जुट जाएगा।
ऐसे में पलक झपकते ही Supernova Explosion के बाद तारे का Sara Matter एक छोटे से Point पर आकर जमा हो जाएगा, जिसे हम Singularity के नाम से जानते है। यहाँ इन Matter Particles की Density इतनी ज्यादा होगी की हम इसकी कल्पना तक नहीं कर सकते। यहाँ लगने वाला अंतहीन गुरुत्व बल अपने आस पास से होकर गुज़रने वाली हर एक चीज़ को अपनी ज़द्द में ले लेता है।
तारे से ब्लैक होल का सफ़र
Mater तो Matter इसके भयानक Gravitational Pull से खुद Light भी पार नहीं जा पाती और वो तक इसमें कैद होकर रह जाती है। यहीं कारण है की इन Blackholes को देख पाना तक मुमकिन नहीं है, क्योंकि ये रौशनी तक को अपने भीतर समाह लेते है। सितारों की मौत के बाद बनने वाले इन BLACKHOLES को वैज्ञानिकों ने STELLAR BLACKHOLES का नाम दिया है।
ये BLACKHOLES कम से कम 3 SOLAR MASSES जितनी वज़नी Stellar Core से Form हो सकते है और हद से हद 60 Solar Masses जितने वज़नी हो सकते है। इस कायनात में कुछ छोटे Primordial Blackholes भी मौजूद होते है जो size में छोटे होने के साथ ही वज़न में भी हलके होते है, वहीं कुछ ऐसे Blackholes भी मौजूद है जो बेहद बड़े और Massive Gravitational Pull के साथ आते है, इन्हें हम Supermassive BLACKHOLES के नाम से जानते है।
Supermassive Black Holes का आकार इतना बड़ा होता है कि ये अपने इशारों पर एक पूरी की पूरी GALAXY यानि आकशगंगा को नचा सकते है। आमतौर पर हर एक आकाशगंगा के केंद्र में एक SUPERMASSIVE BLACKHOLE मौजूद होता है, जो इन आकाशगंगाओं में मैटर यानि पदार्थ को चलायमान रखने के लिए ज़िम्मेदार होता है।
एक तारे की मृत्यु के बाद जन्म लेने वाला BLACKHOLE एक निर्णायक Astronomical scenarios को जन्म देता है। इसके अंतर्गत ब्रहमांड के किसी भी region में dynamics बदल सकते है, of course हमारा सूरज तो एक Blackhole नहीं बन सकता क्योंकि इसका वज़न एक Blackhole बन पाने के लिए काफी कम है।
अगर हम ये मान लें कि अगर हमारा सूरज अपने वर्तमान स्वरूप से 3 गुना ज़्यादा बड़ा होता और एक Blackhole बनने के क़ाबिल होता तो ऐसे में परिस्थिया काफी भिन्न और रोमांचक होती। ऐसा हो सकता था की हमारी Milky way गैलेक्सी के इस पूरे ही इलाके की कायापलट कर रख देता। ऐसे में एक बात तो पक्की थी की इसका पहला शिकार पृथ्वी समेत वो सभी ग्रह बनते जो आज सूरज के गिर्द चक़्कर लगा रहें है।
जहां बुध, शुक्र जैसे छोटे मोटे ग्रहों को तो ये पहले ही अपनी चपेट में लेकर तबाह कर देगा मगर ब्रहस्पति और शनि जैसे Gas giants तक पहुँचते पहुँचते इसे कुछ समय जरुर लगेगा मगर Ultimately ये उन्हें भी नष्ट करके अपने भीतर समाह ही लेगा और सौरमंडल नामक ये खूबसूरत जगह जल्द ही एक अँधेरे वीरान मरघट में बदल जायेगी। अब देखिए Sun के Collapse से Form हुआ ये Hypothetical यानि Imaginary Stellar Blackhole एक जगह चुप रहकर तो नहीं बैठेगा, ऐसे में ये इधर-उधर मंडराकार आस-पास के इलाकों में भी तबाही मचायेगा।
उदहारण के लिए अगर ये इधेर उधेर जाता तो अगले 10-20 Light years के इलाके में आने वाले सभी तारों और पिंड़ों को अपनी चपेट में लेता जाता। ऐसे में Proxima Centauri जैसे करीबी तारामंडल सबसे पहले इसकी जद्द में आते और अपना अस्तित्व खो बैठते।
ऐसे में अगर आप ये सोच रहें है की इस सबके बीच हमारा यानी इंसानों का क्या होता? तो इस कहानी का ये हिस्सा तो हम पहले ही आपको बता चुके हैं कि जब तक हमारा सूरज इस अवस्था में पहुँचता तबतक तो हम इंसान कब के Planet Earth को छोड़ कर किसी और ग्रह की ओर निकल लिए होते, और फिर हम खुद ही अपनी हरकतों के चलते यहाँ जिवन का अंत कर देते। मगर इस सबसे घनराने की बिल्कुल ज़रूरत क्योंकि असल में ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला और लगा लीजिये होता भी है, तो उसे देखने के लिए इंसान तो कम से कम यहाँ नहीं बचेंगे।
बिना ऑक्सीजन के तारा कैसे जलता है?
तारा जलता नहीं है बल्कि तारे में Nuclear Reaction होता है जोकि बिना ऑक्सीजन के होता है। इसी Fission Nuclear Reaction की वजह से हमें अपने सूरज से उर्जा मिलती है।
हमारा सूरज Red Giant कब बनेगा?
हमारा सूरज अपना 5 अरब साल का जीवन जी चुका है और अब इसके पास 5 अरब साल का ही समय बचा है। वैज्ञानिकों के अनुसार हमारा सूरज लगभग 5 अरब साल बाद Red Giant बन सकता है।
एक तारा ब्लैक होल कब बनता है?
जब किसी तारे का द्रव्यमान हमारे सूर्य के मुकाबले 3 गुणा ज्यादा होता है तब वो तारा एक ब्लैक होल बन जाता है।
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